2008-03-18 10:20:03

सुश्री वांग शू और उन के पति का तिब्बत से प्यार

ल्हासा स्थित चीन के तिब्बत सूचना केंद्र की स्थाई संवाददाता सुश्री वांग शू को तिब्बत में काम करते हुए 20 वर्ष बीत चुके हैं। वे तिब्बत में पली बढ़ी, तिब्बत में काम करना शुरु किया, वह तिब्बत में रहती हैं और तिब्बत में अपना एक छोटा सा घर बनाया है। तिब्बत में रहते हुए उसे कोई चालीस वर्ष हो चुके हैं । वह तिब्बत से बहुत प्यार करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उन का घर राजधानी पेइचिंग में बसा हुआ है, लेकिन इतने समय से तिब्बत में रहने और काम करने के कारण उन्हें तिब्बत से विदा लेना मुश्किल लग रहा है। तिब्बत उन की जन्मभूमि नहीं, वे स्वयं तिब्बत के विशाल पठार का एक तत्व बन गयी हैं।

सुश्री वांग शू ने कहा कि वह लम्बे समय से ल्हासा में रहती हैं और पति व बेटे राजधानी पेइचिंग में रहते हैं । इस तरह ल्हासा और पेइचिंग आना-जाना उन के जीवन का एक हिस्सा बन गया है। तिब्बत में लम्बे समय तक रहने के कारण उन्हें यहां की विशाल भूमि और शांत जीवन की आदत पड़ गई है । हर बार पेइचिंग आने के बाद उन्हें ज्यादा अच्छा नहीं लगता है । उन्होंने कहा कि बड़े शहर में रहना सुविधाजनक होने के बावजूद यहां के शोर-शराबे और दूषित वायु में सांस लेना उन्हें कठिन लगता है। इस तरह हर बार पेइचिंग आने के बाद उन्हें तिब्बत का नीला आसमान और सफेद बादलों की याद सताती है और वह जल्द ही वापस लौटना चाहती हैं । वांग शू के पति अपनी पत्नि के तिब्बत के प्यार को समझते हैं, और पत्नि के काम का समर्थन भी करते हैं । इस की चर्चा में सुश्री वांग शू ने कहा:

"मेरे पति भी तिब्बत के बारे में काम करते हैं । इस लिए वे पेइचिंग

में रहने के बावजूद कामकाज के लिए कभी कभार तिब्बत आते-जाते हैं। इस के साथ ही मैं भी ल्हासा से पेइचिंग आती-जाती रहती हूँ । लगता है कि तिब्बत ने हमारे छोटे परिवार की तुलना में मेरे दिल में थोड़ा ज्यादा जगह बना ली है। इस मामले में मेरे पति मुझे समझते हैं ।"

सुश्री वांग शू के पति चिन ची क्वो《चीन का तिब्बत 》पत्रिका के उपनिदेशक हैं । दस वर्ष की आयु में श्री चिन ची क्वो अपने माता-पिता के साथ तिब्बत आए, और तिब्बत में तीस वर्ष रहे। वर्ष 2003 में वे तिब्बत के सांस्कृतिक विभाग से पेइचिंग स्थित 《चीन का तिब्बत 》पत्रिका में काम करने लगे । उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी का सुनहरा भाग उन्होंने तिब्बत में गुजारा है, इस तरह तिब्बत की तसवीर उन के दिमाग में सदा तरोताज़ा है । तिब्बत उन के न भूलने वाली जन्मभूमि बन गयी है। इस लिए जन्मभूमि के प्रति गहरी भावना से श्री चिन ची क्वो अपनी पत्नि के काम को समझते हैं । उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पत्नि के साथ तिब्बत के प्रति गहरा प्यार है। इस के साथ ही दोनों तिब्बत के प्रचार-प्रसार का कार्य भी करते हैं , इस लिए तिब्बत से लोगों को अवगत कराना, ज्यादा लोगों को तिब्बत की जानकारी हासिल कराना और तिब्बत से प्यार करवाना पति-पत्नि की समान खोज ही नहीं, समान अभिलाषा भी है । श्री चिन ची क्वो ने कहा:

"मेरी पत्नि तिब्बत से बहुत प्यार करती है, वे अक्सर कहती

है कि तिब्बत आने के बाद उसे बहुत आराम महसूस होता है, और घर वापस आने जैसी भावना का एहसास होता है । भीतरी इलाके में जीवन बिताना उन के लिए मुश्किल है और वहां उन्हें सदैव अशांति महसूस होती है। मुझे लगता है कि पत्नि को तिब्बत में रहने की आदत पड़ गयी है।"

श्री चिन ची क्वो ने कहा कि वे स्वयं तिब्बत में तीस से ज्यादा वर्ष बिता चुके हैं , इस लिए तिब्बत उन की भी प्यारी जन्मभूमि बन गयी है। कामकाज के कारण वे कभी-कभार तिब्बत वापस लौट कर इन्टरव्यू करते हैं और सम्मेलन में भाग लेते हैं । इस तरह तिब्बत परिवार को एक करके जोड़ देता है । तिब्बत पति-पत्नि दोनों की समान जन्भूमि ही नहीं, तिब्बत के लोग और तिब्बत में घटी घटनाएं पति-पत्नि की आम चर्चा का मुख्य विषय हैं । श्री चिन ची क्वो अपनी पत्नि की तरह तिब्बत से गहरा प्यार करते हैं । उन का कहना है:

"तिब्बत हमारी पृथ्वी पर सब से उंचे स्थान पर है, जो छिंगहाई

तिब्बत पठार पर स्थित है । एक साधारण आदमी के लिए विशाल व महान छिंगहाई-तिब्बत पठार सदा सम्मान की जगह है । इस के साथ ही छिंगहाई-तिब्बत पठार में कम ऑक्सिजन और बुरे मौसम की स्थिति है।बर्फीले पठार में जीवन बिताना मनुष्य के लिए मुश्किल है । लेकिन तिब्बती लोग लम्बे समय से यहां रहते हैं और उन्होंने रंगबिरंगी संस्कृति भी रची है । इस लिए लोग तिब्बती जाति का समादर करते हैं ।तिब्बत जाति का इतिहास बहुत पुराना है , इस प्राचीन जाति ने लम्बे समय से विश्व की छत पर रहते हुए विविधतापूर्ण संस्कृति व सभ्यता रची है । मुझे लगता है कि मेरे तिब्बत के प्यार में तिब्बती संस्कृति व तिब्बती जाति दोनों शामिल हैं ।"

श्री चिन ची क्वो ने अपनी पत्नि के कथन को दोहराते हुए कहा कि तिब्बत उन लोगों की भावना का घर है और आत्मा का अंतिम पड़ाव। जो तिब्बत में ज्यादा समय ठहरेगा , वो इस स्वच्छ व पवित्र-भूमि को ज्यादा प्यार करेगा ।

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