इस वर्ष 92 वर्षीय उ चंग इ ने अपना पूरी जीवन वनस्पति के अनुसंधान में बिताया है। उनके अनुसंधान के कार्य से ही चीनी वनस्पति शास्त्र अनुसंधान को विश्व की मान्यता हासिल हुई है, इन में विशाल चीनी वनस्पति ग्रंथ उनकी सबसे प्रतिनिधित्व पुस्तक है, जिसे लिखने में उन्होने 45 साल का समय गुजारा है । श्री उ चंग इ ने इस पर जानकारी देते हुए कहा चीनी वनस्पित ग्रंथ में सभी चीनी वनस्पितयों के अपनी व्यवस्था के अनुरूप पंक्तियो में खड़ा किया गया है। मिसाल के लिए, कृत्रिम धान व जंगली धान के बीच क्या अन्तर व उनके बीच क्या संबंध है, वनस्पति ग्रंथ की गुणवत्ता यही है कि उसने वनस्पित परिवार का विस्तृत रूप से पंजीकरण किया है, उसने हरेक वनस्पति के चीन के किस जगहों व विश्व के किस जगहों में वितरण का वर्णन करने के साथ उनके इतिहास में किए गए पंजीकरण के कारण क्या है , इन सभी की ठोस व्याख्या की है। यह दुनिया की सबसे विशाल वनस्पति ग्रंथ है, वह इस से पहले समाप्त यूरोपीय वनस्पति ग्रंथ, नोर्थ अमरीका वनस्पति ग्रंथ व मलेशिया वनस्पित ग्रंथ से भी विशाल है।
चीनी वनस्पति ग्रंथ के लिखने का काम 1959 से औपचारिक रूप से शुरू हुआ था और 2005 में उसका पूरा प्रकाशन समाप्त हुआ। पूर्ण पुस्तक के 126 भाग है और करीब 5 करोड़ शब्द हैं व 30 हजार से अधिक चीनी वनस्पितियों का वर्णन किया गया है। उसने बुनियादी तौर से चीन के सभी वनस्पतियों के परिवार की असलीयत का पता लगाया है, जो चीन के भविष्य में जैविक विविधता व पारिस्थितिकी पर्यावरण संरक्षण तथा वैज्ञानिक रूप से वनस्पतियों का प्रयोग करने आदि का एक बुनियादी व महत्वपूर्ण आधार बन गया है।
श्री उ चंग इ 1987 से चीनी वनस्पति के मुख्य संपादक का कार्य संभालना शुरू किया, इस दौरान उन्होने इस ग्रंथ के 80 से अधिक भागों का प्रकाशन किया, जो इस विशाल ग्रंथ के संपादकीय में किया गया सबसे मुख्य योगदान है।
दसेक सालों के विज्ञान अनुसंधान में श्री उ चंग इ ने वनस्पति विज्ञान में विशाल ज्ञान प्राप्त किया है और अपने साथियों के बीच वनस्पति कम्पयूटर के नाम से जाने वाले प्रसिद्ध विज्ञानी रहे हैं। अलबत्ता उनका वनस्पति के प्रति इतना प्रेम कहने के लिए तकदीर का एक किरश्मा ही है। श्री उ चंग इ ने हमें बताया कि वह 1916 में पूर्वी चीन के यांगचओ के एक बुद्धिजीवी घराने में पैदा हुए थे, घर के आंगन की फुलवाड़ी उनके बाल समय का मनोरंजन स्थल था। छुटपन से ही मुझे पेड़ पौधों से लगन रहा है। छोटेपन में मै बहुत अकेलापन महसूस करता था, हमारे घर के दूसरी तरफ एक बहुत बड़ा बागान था, मैं वहां अक्सर अकेले खेलने जाया करता था । इल बाग के भीतर बहुत से बेम्बू की झाड़ियां थी , उनमे मंगचुंग नाक का बेम्बू था जिसे खाया जा सकता था। इस किस्म के बेम्बू विशेषकर वसंत में बारिश के बाद इतनी तेजी से उगते हैं, आप सचमुच यकीन नहीं कर सकते , मैं तो बिल्कुल ताज्जुब में पड़ जाता था।
पेड़ पौधों पर रूचि पैदा होने की बदौलत , बचपन से ही उनका वनस्पतियों की पहचान व उनके नमूने इकटठा करने का शौक रहा । मिडिल स्कूल के बाद उन्होने बिना हिचकिचाहट पेइचिंग के छिंगहवा विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान अध्ययन पाठयक्रम चुन लिया। विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होने युननान के विश्वविद्यालय में पढ़ाने का काम शुरू कर दिया।
युननान प्रांत चीन की वनस्पितियों का सबसे भरपूर स्थान हैं, वहां चीन के आधे से ज्यादा वनस्पतियों की किस्में पायी जाती हैं, वहां उन्होने दस साल के भीतर करीब 30 हजार वनस्पितयों के कार्ड लिखें , जो बाद में वनस्पति शास्त्र ग्रंथ के लिखने की मूल्यवान सूचनाए व डेटा रहीं। लम्बे अर्से से उनके साथ कार्यरत चीनी विज्ञान अकादमी के खुनमिंग वनस्पति अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रोफेसर उ सू कुंग ने हमें बताया उन्होने एक एक पल का फायदा उठाकर कठोरता से वनस्पति का अध्ययन किया है, मेरा मानना है कि यही कारण है वह हमारे अपने लगते हैं।
श्री उ चंग इ ने वर्ष 1976 में 60 साल की आयु में दो बार छिंगहाए-तिब्बत पठार में जाकर विज्ञान सर्वेक्षण किया था, वह यहां तक कि सिनच्यांग के गोबी रेगिस्तान में घास मैदान वनस्पतियों का सर्वेक्षण करने भी गए थे। वर्ष 1997 में 81 वर्षीय में श्री उ चंग इ ने थाएवान में वनस्पतियों का सर्वेक्षण करने के बाद से अपना बाहरी सर्वेक्षण कार्य को बुनियादी रूप से बन्द कर दिया। मैने जगह जगह जाकर समय समय पर एक एक वनस्पतियों को अपनी डायरी में नोट किया है, यह मेरी एक आदत बन गयी है। मैने 86 डायरियां लिखी हैं और पिछले 50 सालों के हरेक सर्वेक्षण कार्य की सूचनाओं व डेटाओं को अपनी डायरी में लिखा है जो अभी तक मेरे पास सही सलामत है।
चीनी वनस्पति ग्रंथ के अलावा, श्री उ चंग इ ने 1998 के बाद से अबतक 43 लाख शब्दों के अकादमिक पुस्तकें भी लिखी हैं। 1999 में श्री उ चंग इ ने चीनी दक्षिण पश्चिम चीन की वन्य जीव किस्मों व गुणवत्ता के संसाधन डेटा बैंक के निर्माण करने का सुझाव रखा, ताकि लुप्त व दुर्लभ वनस्पितयों के किस्मों व उनकी गुणवत्ता संसाधन का संरक्षण किया जा सके।
श्री उ चंग इ ने अपना पूरा जीवन वनस्पितयों के अनुसंधान में न्यौछावर कर दिया है। उन्होने कहा कि उनका विज्ञान अनुसंधान पूर्वजनों के योगदान का सुफल है। मेरी आशा है कि मेरा विज्ञान अनुसंधान मानव के जीवन को और खुशहाली बनाने व लोगों के प्राकृति के साथ पूर्ण समंजस्पूर्ण रिश्ता बनाने में योगदान कर सकेगा।
![]() |
![]() |
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040 |