2008-03-13 10:54:36

ग्रामीण फिल्म-निर्देशक चो य्वान-छ्यांग की कहानी

1992 में चो य्वान-छ्यांग ने बैंक से अपनी सारी जमा पूंजी निकालकर कई हिम्मती गांववासियों के साथ पहली टीवी फिल्म बनानी शुरू की।इस की पटकथा कई गांववासियों ने संयुक्त रूप से लिखी और पृष्ठभूमि के रूप में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण भी उन्हीं के द्वारा बनाए गए।इस फिल्म में सभी पात्रों की भूमिकाएं खुद किसानों ने निभाई।एक साल बाद《गांव में सितारा》नामक यह फिल्म प्रकाश में आ गयी।यह फिल्म कोई 80 साल पहले एक गांव के किसानों द्वारा चीनी क्रांति में सक्रिय रूप से भाग लेने के दृश्य दिखाती है।जब गांववासियों को पहली बार यह फिल्म दिखाई गई,तो उन में बड़ी धूम मची और ऐसे वाक्य सुनाई दिए कि देखो,वह तम्हारे पिता जी हैं,वह कितने अच्छी तरह से अभिनय करते हैं। देखो,तुम्हारे चाचा जी कैसे बदमाश की भूमिका निभाते हैं,वह बिल्कुल बदमाश जैसे दिखते हैं।वाह,तुम्हारी माता जी का अभिनय किसी पेशावर अभिनेत्री से जरा भी कम नहीं है।

इस टीवी फिल्म पर गांववासियों की सकारात्मक प्रतिक्रियाओं से चो य्वान-छ्यांग का उत्साह और ज्यादा बढा।तब से उन की कई नयी कृतियां एक के बाद एक लोगों के सामने आने लगीं।इन कृतियों के विषय व्यापक हैं।चीनी क्रांति का इतिहास,चीनी कुंग-फूं एक्शन और चीनी किसानों के जीवन तथा चीनी अर्थतंत्र में खुलेपन व सुधार आदि विषय इन में शामिल हैं।पहले चो य्वान-छ्यांग 1 से 5 खंडों वाली टीवी फिल्में बनाते थे,बाद में खंडों की संख्या बढती गई।इस समय वह व्यापक किसानों की दिलचस्पी के अनुसार आम तौर पर दसेक खंडों वाले टीवी धारावाहिक बनाते हैं।उन के अनुमान के अनुसार अब तक उन की बनी टीवी फिल्मों में भूमिका निभाने वाले गांववासियों की संख्या 20 हजार तक जा पहुचीं है।और गांववासियों के अभिनय का स्तर ऊंचा होता गया है।

《हमेशा याद रहे 》नामक एक टीवी धारावाहिक की शूटिंग के दौरान एक रूचिकर घटना घटी।शूटिंग-स्थल पर अभिनेत्री के रूप में जब एक महिला किसान दुश्मन सैनिकों के सामने अपनी छोटी बेटी से बिदाई लेकर शहीद होने की तैयारी कर रही थी,तो शूटिंग देखने एकत्र हुए दर्शकों में से रोने की आवाज आने लगी।शूटिंग-स्थल से गुजर रहे एक बुजुर्ग यह दृश्य देखकर क्रोधित हो गए और हाथ में एक डंडा लिए तेजी से आगे जाकर एक दुश्मन सैनिक का अभिनय कर रहे किसान पर टूट पडे।सौभाग्य था कि वह जवान किसान बहुत स्फूर्ति से बुजुर्ग के वार से बच गया,वरना वह संभवतः बुजुर्ग के डंडे का शिकार हो जाता।आसपास के लोगों के समझाने के बाद बुजुर्ग समझे कि वहां फिल्म की शूटिंग चल रही थी।

ऐसा कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि जिस गांव मे चो य्वान-छ्यांग टीवी फिल्म बनाते हैं,उस गांव का माहौल तीज—त्यौहार जैसा हो जाता है।लेकिन चो य्वान-छ्यांग को किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता, ऐसा भी नहीं है। उन के सामने पूंजी का सवाल हमेशा एक बड़ा सवाल रहा है । इस समय चीन में किसी पेशावर टीवी फिल्म-निर्देशक को एक टीवी फिल्म बनाने में कई लाख य्वान का खर्च करना पड़ता है।जबकि चो य्वान-छ्यांग सिर्फ 3,4 हजार य्वान से एक टीवी फिल्म बनाते हैं।पर इस का मतलब यह नहीं है कि उन्हें पूंजी के अभाव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।पूंजी के अभाव के कारण उन्हें एक ही टीवी फिल्म बनाने में 1,2 साल लग जाते हैं।

चो य्वान-छ्यांग की कहानी मीडिया के द्वारा प्रचारित की जाने के बाद देश में फिल्म प्रतिष्ठान और केंद्रीय-नाटक व फिल्म कॉलेज आदि फिल्म-निर्माण संस्थाओं ने उन्हें लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया।जल्द ही वह नामी हो गए।हॉलीवुड के चीनी फिल्म स्टार ज़्वीन-लुंग और ली-वन ने उन की कहानी पर एक फिल्म भी बनवाई।यह फिल्म देश के अनेक क्षेत्रों में बॉक्स ऑफिस पर कई हफ्तों तक हिट रही।अपनी सफलता के बारे में चो य्वान-छयांग ने कहाः

"मैं साधारण आदमी हूं।पेशावर फिल्मकारों की तुलना में मैं बहुत पिछड़ा हुआ हूं।उन की बराबरी मैं कैसे कर सकता हूं।मैं ग्रामीण इलाके में किसानों के मनोरंजन के लिए टीवी फिल्में बनाता हूं।टीवी फिल्म बनाना मेरा उद्देश्य नहीं है।मैं टीवी फिल्म सिर्फ किसानों को उच्च स्तर का सांस्कृतिक आनन्द देने के लिए बनाता हूं।"

चो य्वान-छ्यांग ने कहा कि उन की जिन्दगी का सुख गांववासियों के आनन्द से ही आता है।