इस समय चीन में व्यापारिक फिल्में ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं,पर कम लागत वाली कुछ सांस्कृतिक फिल्मों को भी दर्शकों की प्रशंसा मिली है। 《Still Life》और《Crazy Stone》जैसी सांस्कृतिक फिल्में इस श्रेणी में आती हैं।36 वर्षीय फिल्म-निर्देशक चा चांग-ख द्वारा निर्मित《Still Life》चीन में निर्माणाधीन सानश्या त्रिघाटी बांध की पृष्ठभूमि में स्थानीय युवाओं की प्रेम-कहानियां दिखाती है। इस फिल्म को वर्ष 2006 के वेनिस फिल्म उत्सव में सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त हुआ । 29 वर्षीय निंग-हाऊ द्वारा निर्देशित फिल्म《Crazy Stone》ने अपने कथा-प्रसंग की जटिलता और संवाद-शैली की सरलता व हास्य के कारण देशी-विदेशी दर्शकों व फिल्मी समीक्षकों से सराहना प्राप्त की और अपनी लागत से दसेक गुना अधिक मुनाफा हासिल किया।चीनी फिल्म प्रतिष्ठान के प्रोफेसर श्री चांग ह्वे-चुन के अनुसार व्यापारिक फिल्मों के साथ सांस्कृतिक फिल्मों का भी चीनी फिल्मी बाजार में अहम स्थान है।उन का कहना हैः
"मेरे विचार में निंग-हाऊ की फिल्म《Crazy Stone》ने एक छोटी सी बात के जरिए समाज की एक बड़ी समस्या पर प्रकाश डाला है। चीनी लोगों की वर्तमान रूचि के आधार पर आधुनिक व श्रेष्ठ विदेशी फिल्मों में दिखाई पड़ने वाले विशेष तकनीक से फिल्माए गए दृश्यों की नकल कर इस फिल्म ने सफलता प्राप्त की है। इस में अभिव्यक्त विचार ने व्यापक दर्शकों को प्रभावित किया है।"
विश्व व्यापार संगठन का एक सदस्य बनने के बाद चीन में अधिकाधिक गैरसरकारी पूंजी फिल्मोद्योग में प्रविष्ट होने लगी है। मशहूर फिल्म-निर्देशकों की फिल्मों ने इस तरह की बड़ी धन-राशि आकर्षित की है। लेकिन नवोदित युवा फिल्म-निर्देशकों को फिल्म बनाने के लिए पूंजी की प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इसलिए विवश होकर उन्होंने कम लागत वाली सांस्कृतिक फिल्में बनाईं। वर्ष 2006 में चीन में निर्मित 330 फिल्मों का एक तिहाई भाग ऐसी ही कम लागत से बनी फिल्मों का है। खुशी की बात यह है कि इन फिल्मों में से कुछ सफल रही हैं।चीन के अन्य एक युवा फिल्म-निर्देशक ल्यू-चे द्वारा निर्मित《Courthouse on the Horseback》 इस दृष्टि से उल्लेखनीय है।
इस फिल्म में चीन के दूरस्थ गरीब क्षेत्र में न्यायाधीशों के सामने मुंह बाए खड़ी कठिनाइयों को दर्शाया गया है। इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद गरीब क्षेत्रों में कानून-कार्यकर्ताओं को सुविधाएं दिलाने की ओर सरकार और आम लोगों का ध्यान गया। वेनिस फिल्मोत्सव में उसे फीचर फिल्म-श्रेणी के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म के निर्देशक ल्यू-चे का मानना है कि चीन के फिल्मी बाजार में व्यापारिक फिल्मों के साथ सांस्कृतिक फिल्मों की भी ज़रूरत है।उन का कहना हैः
"अनेक लोगों ने कहा कि सांस्कृतिक फिल्म व्यापारिक फिल्म की पूरक होती है।लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। फिल्मी बाजार सिर्फ एक ही तरह की फिल्मों से या कहें कि व्यापारिक फिल्मों से दीर्घकाल तक विकसित नहीं हो सकता । किसी भी तरह की फिल्म को एक आइना या कहें कि एक प्रतिद्वंद्वी की ज़रूरत होती है। मैं समझता हूं कि सांस्कृतिक फिल्में व्यापारिक फिल्मों की प्रतिद्वंद्वी के रूप में भूमिका निभा रही हैं।"
चीनी फिल्म ब्यूरो के उपप्रधान श्री चांग भी-मिंग ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चीन बहुतत्व वाले समाज में दाखिल हो गया है। उस के फिल्मी बाजार में व्यापारिक फिल्मों का हिस्सा बेहद बड़ा तो है,पर सांस्कृतिक फिल्मों के योगदान की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।उन्हों ने कहाः
"व्यापारिक फिल्मों की भारी-भरकम लागत, उन में सुपर फिल्म स्टारों के प्रदर्शन और दिखने वाले कंप्यूटराइज्ड दृश्य लोगों को झटका सा दे सकते हैं। और तो और फिल्म-
रिलीज से पूर्व जबरदस्त प्रचार-प्रसार भी लोगों में जिज्ञासा व दिलचस्पी बढा सकता है।सो स्वाभाविक है कि सांस्कृतिक फिल्मों की तुलना में व्यापारिक फिल्में जल्द ही लोकप्रिय हो जाती हैं। वास्तव में हम यह देखना चाहते हैं कि विभिन्न शैलियों वाली फिल्में साथ-साथ रहकर देश के फिल्मी बाजार को समृद्ध बनाएंगी।"
चीन सरकार ने इस साल के शुरू में ऐसा एक विशेष कोष स्थापित किया,जो प्रतिभावान युवा फिल्म-निर्देशकों को सांस्कृतिक फिल्में बनाने में वित्तीय मदद देगा।