चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महा सचिव, राष्ट्राध्यक्ष और चीनी फौजी आयोग के अध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने 4 तारीख को चीन की मुख्य भूमि और थाइवान के बीच संबंधों को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया , जिसकी समाज के विभिन्न जगतों में जोशपूर्ण प्रतिक्रियाएं हुई हैं । लोगों का मानना है कि श्री हू चिन थाओ का बयान, मुख्य भूमि और थाइवान के बीच आदान-प्रदान व सहयोग में गति देने , थाइवानी स्वाधीनता को रोकने , थाईवान जलडमरूमध्य के दोनों तटों के बीच संबंधों के शांतिपूर्ण व सुस्थिर विकास को बढ़ावा देने और मातृभूमि के शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण को बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध प्रतिष्ठान के थाइवान मामलात केंद्र के प्रधान श्री सुन क-छीन ने कहा कि श्री हू चिन थाओ के बयान से यह जाहिर है कि देश की सकल शक्तियों के बढ़ने तथा दोनों तटों के बीच आदान-प्रदान के विस्तार से आज चीनी नेता और अधिक आत्म-विश्वासी , खुलेपन को मानने वाले , बुद्धिसंगत और व्यवहारिक बने हैं । चीनी नेता वास्तविकता के मुताबिक दोनों तटों के बीच शांति बनाये रखने तथा उभय विजय कायम करने को महत्व देते हैं ।
श्री हू चिन थाओ के बयान पर थाइवान में भी जबरदस्त प्रतिक्रियाएं हुई हैं ।
थाईवान प्रांत के जाने-माने विद्वान प्रोफेसर सू च्या होंग ने संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि श्री हू चिन थाओ के बयान ने दोनों तटों के संबंधों में नया अध्याय जोड़ने के लिए विशाल गुंजाईश दी है , जिस का सकारात्मक व महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा । आर्थिक दैनिक के विशेष संवाददाता का विचार है कि श्री हू चिन थाओ के बयान से थाईवान के प्रति मुख्यभूमि की नीति और लचीली हुई है , और मुख्यभूमि के नेतागण दोनों तटों के संबंधों के प्रति अधिक आत्मविश्वासी हुए हैं ।
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