चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर में तिब्बत के इतिहास का प्रथम राज महल युंगपुलाखांग महल और प्रथम बौद्ध भवन छांगजचू मठ है । यहां तिब्बती संस्कृथि के उद्गम स्थल माना जाता है ।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में एक कहावत प्रचलित है कि तिब्बती लोगों का बुजुर्ग एक देव वानर है, जो तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर में संन्यासी के रुप में रहता है । लोका प्रिफैक्चर की राजधानी चह तांग कस्बा है, तिब्बती भाषा में चहतांग का मतलब है वानरों के खेलने का मैदान ।
वास्तव में लोका प्रिफैक्चर में एक ओर तो यह प्राचीन कथा मशहूर है, और दूसरी तरफ़ प्राचीन तिब्बत का सब से प्रभावकारी राजवंश थूबो राजवंश भी यहां स्थापित हुआ था ।
सांगये मठ का इतिहास आज से एक हज़ार वर्ष से ज्यादा पुराना है । तिब्बती जाति के मठों में उस का इतिहास सब से पुराना है । सांगये मठ का प्रमुख भाग एक तीन मंजिला भवन है । जिस की प्रथम, दूसरी और तीसरी मंजिल पर अलग-अलग तौर पर तिब्बती शैली, चीनी हान शैली और भारतीय शैली का काष्ठ निर्माण हुआ है । सांगये मठ तिब्बत के थूपो राजवंश में सब से महान और सब से आलीशान काष्ठ निर्माण माना जाता था । इसी मठ में थूपो राजवंश के बाद तिब्बत के विभिन्न कालों में इतिहास, धर्म, काष्ठ निर्माण, भीत्ति चित्र और मूर्ति आदि अवशेष संरक्षित हैं । मठ के प्रमुख भवन की दीवार पर रंग-बिरंगो भीत्ति चित्र हैं, जिन की लम्बाई 92 मीटर है । इन भीत्ति चित्रों में पोलो खेल से जुड़े चित्रों को विश्व भर में इस प्रकार के खेलों में सब से प्राचीन रिकॉर्ड माना जाता है।
श्री तिंग शीश्यू चीन के भीतरी इलाके के शङ चङ शहर के निवासी हैं । तिब्बत की यात्रा करना उन का स्वप्न है । वे अपने कई दोस्तों के साथ अपनी कार चलाकर स्छ्वान की राजधानी छङंतु से तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर आए । यहां के दृश्य देख कर व बहुत उत्तेजित हो उठे । पर्यटक तिंग शीश्यू ने कहा:
"यहां के दृश्य बहुत सुन्दर हैं । मुझे लगता है कि तिब्बत प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण पर विशेष महत्व देता है ।"
मठ व राजमहल के अलावा, लोका प्रिफैक्चर का यालुंग क्षेत्र तिब्बती ऑपेरा का जन्मस्थान है । पांच सौ साल पूर्व थांगतुंग चेपु नामक भिक्षु जनता की सहायता के लिए एक पुल का निर्माण करना चाहता था । इस के लिए पैसों की आवश्यकता थी । इस लिए चंदा उगाहने के लिए उसने सात लड़कियों का एक दल गठित किया और तिब्बती ऑपेरा का प्रदर्शन करने लगे जिसे इस के बाद ही तिब्बती ऑपेरा कहा जाने लगा। पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकारों के विकास के चलते आज तिब्बत ऑपेरा अनेक नाट्य संप्रदायों में बंटा हुआ है। पर सफ़ेद, पीले, नीले और काले मुखौटों वाले नाट्य रूप सर्वप्रमुख माने जाते हैं । लोका प्रिफैक्चर के नाइतुंग कांउटी के"जाशी श्वेपा"और छुंगचह कांउटी के"पिनतुनपा"नामक सफेद मुखौटे वाले ऑपेराओं का इतिहास बहुत पुराना है , और सारे तिबब्त में अत्यंत मशहूर हैं। हर वर्ष तिब्बत परम्परागत त्योहार श्वेतुन त्योहार में इसे सब से पहले प्रस्तुत किया जाता है ।
आज कल लोका प्रिफैक्चर विश्व के विभिन्न स्थलों के पर्यटकों को आकर्षित करता है । यहां के तिब्बती बंधु विभिन्न प्रकार के व्यापार करने लगे हैं, उन में जेड प्रोसेसिंग, तिब्बती आभूषण बनाना और विशेष खाद्य पदार्थ आदि शामिल हैं । तिब्बती संस्कृति के वातावरण में लोका प्रिफैक्चर के लोग और सुखमय जीवन की ओर बढ़ रहे हैं ।(श्याओ थांग)