2008-02-28 14:43:50

चीन के एक सुप्रसीद्ध गायक श्री ली श्वांग-च्यांग

ली श्वांग-च्यांग चीन में बहुत से सैनिक गायकों में से एक है,पर उन की प्रतिष्ठा सब से ऊंची है।दशकों से वे अपनी विशेषता वाली गायन-शैली और बड़े कलात्मक उत्साह से देशी व विदेशी श्रोताओं को आकर्षित करते रहे हैं।गायन-संगीत की शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्हों ने अनेक सुयोग्य व प्रतिभावान युवा गायक और गायिकाएं तैयार किए हैं।

पिछली सदी के 70 वाले दशक में चीन भर में लाल-सेना की कहानी पर आधारित एक फिल्म《चमकता-सितारा》काफी हिट रही।इस फिल्म का विषयगीत गाने से श्री ली श्वांग-च्यांग जल्दी ही नामी हो गए।इस के बाद कई दशकों तक उन्हों ने सैनिक विषयों पर ढेर सारे लोकप्रिय गीत गाए हैं।

श्री ली श्वांग-च्यांग का जन्म 1939 में पूर्वोत्तर चीन के हार्पिन शहर में हुआ था।बचपन से ही कला में उन की बड़ी रूचि पैदा हो गयी थी,विशेषकर गायन से उन्हें बड़ा लगाव था।प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के समय उन्हों ने अनेक बार प्रांतीय और शहरी स्तरों के सांस्कृतिक समारोहों में कई पुरस्कार प्राप्त किए।हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात उन्हें परीक्षा में श्रेष्ठ अंकों से एक मेडिकल विश्वविद्यालय में दाखिला मिला।यह उन के पिता जी का सपना था,पर खुद उन का मन गायन-कला में था।फिर उन्हों ने पिता जी के विरोध के बावजूद माता जी के समर्थन से केंद्रीय संगीत प्रतिष्ठान की राष्ट्रीय भर्ती-परीक्षा में हिस्सा लिया।और वैसे ही श्रेष्ठ अंकों से उस के एक छात्र बने।

केंद्रीय संगीत प्रतिष्ठान में 4 वर्ष के पाठ्यक्रम की पढाई के दौरान उन्हों ने गायन-संगीत के सिद्धांतों का और गायन-कला का सुव्यवस्थित अध्ययन किया।यूरोपीय गायन-शैली के साथ परंपरागत चीनी गायन-शैली और अल्पसंख्यक जातीय गायन-शैली के लिए उन्हों ने तत्कालीन चीन के सांस्कृतिक मंच पर सक्रिय गायकों और गायिकाओं से भी बहुत कुछ सीखा।उस समय ही उन्हों ने ठान ली थी कि वे अपनी विशेषता वाली गायन-शैली बनाएंगे और खुद चीनियों को पसंद आने वाले गीत गाएंगे।1963 में केंद्रीय संगीत प्रतिष्ठान से स्नातक होने के बाद वे उत्तर पश्चिमी चीन के सिंगच्यांग सेना-कमान के सांस्कृतिक मंडली में भर्ती हुए।सिंगच्यांग में 10 सालों तक काम करने के दौरान उन्हों ने स्थानीय अल्पसंख्यक जातीय गायन-कला का गहन अध्ययन करके अपनी विशेषता वाली गायन-शैली की नींव डाली।उन्हों ने कहा :

" सिंगचांग में मैं मछली को पानी मिलने जैसी खुशी महसूस करता था।मैं एक तरफ सैनिक जीवन और दूसरी तरफ अल्पसंख्यक जातीय संगीत का लुत्फ उठाता था।इस हिसाब से वहां 10 सालों का जीवन मेरे लिए ऐसा ही था जैसाकि,मानो मैं ने फिर से एक सैन्य विश्वविद्यालय और एक जातीय विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम पूरा कर लिया हो।कहा जा सकता है कि सिंगच्यांग में मेरी आपबीती का मेरे गायन-कैरियर पर भारी प्रभाव पड़ा है।"

1970 में श्री ली श्वांग-च्यांग ने चीनी-सेना के राष्ट्रीय सांस्कृतिक समारोह में भाग लिया और《पेइचिंग का गुणगान》नामक एक गीत गाने से सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार जीता।तब से उन के गाए गीत एक से बढ़कर एक देश भर में लोकप्रिय होते रहे।उन्हों ने अपनी आवाज के जादू और विशेष व्यक्तित्व शैली से चीनी गायन-जगत में अपनी टिकाऊ पहचान बनायी।1973 में उन का पेइचिंग स्थित चीनी सेना के राजनीतिक-विभाग के मुख्यालय की गीत-नृत्य मंडली में तबादला किया गया।इस से उन के व्यवसाय का नया युग शुरू हुआ।