2008-02-28 10:07:26

शान्गतुंग प्रांत के सफेद पत्थर गांव की खुदाई में पत्थर चक्की प्राप्त हुई

य्येन थाई म्युजियम के प्रधान श्री वांग शी फिंग ने इस तरह परिचय देते हुए कहा कि पिछले कई हजारों वर्षों में वर्षाओं व हवाओं की थपेड़ से यह स्थल बिल्कुल विरान हो गया है , बाहर देखने से ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेष का खण्डहर मालूम नहीं पड़ता है । अब इस खण्डहर पर सिर्फ कुछ सिप व मिट्टी बर्तनों के टुकड़े देखे जा सकते हैं । पर य्येनथाई म्युजियम में प्रदर्शित सफेद पत्थर सांस्कृतिक अवशेष के खण्डहर का भूमिगत परती नक्षा पर्यटकों को और अधिक सूचनाएं बता सकता है ।

उन का कहना है कि प्रथम परत खेतीयोग्य जमीन है , उस की मोटाई आम तौर पर तीस सैंडिमीटर है । पहली परत के नीचे और कई परतें बांटी गयी हैं , आप परतों के बीच सीप व हड्डियां देख सकते हैं , तत्काल में घर पर सुअर जैसे पशुओं का पालन होता था । दूसरी से छैठी परत तक साफ साफ नजर आती है , सफेद पत्थर गांव का खण्डहर पांचवी व छैठी परतों पर ही है ।

सफेद पत्थर सांस्कृतिक अवशेष के खण्डहर के भूमिगत परतों के निर्देशक नक्षा से देखा जा सकता है कि समूचे खण्डहर की छै भूमिगत परतें बांटी जाती हैं , उस की मोटाई करीब छै सात मीटर गहरी है , सब से ऊपर तीस चालीस सैंडिमीटर मोटी परत खेतीयोग्य जमीन है , जबकि दूसरी से छैठी परतें सफेद पत्थर सांस्कृतिक अवशेष का खण्डहर ही है । इस खण्डहर की खुदाई में कुल सात सौ से ज्यादा मिट्टी बर्तनों के टुकड़े , पत्थर और हड्डियां प्राप्त हुईं और दो समाधियों का पता भी लगाया गया है । इस से चीन के पूर्वी शान तुंग की आदिम सांस्कृतिक उद्गम की खोज के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण सामग्री प्रदान की गयी है । सफेद पत्थर सांस्कृतिक अवशेष के खण्डहर की खुदाई में प्राप्त सांस्कृतिक अवशेषों की चर्चा में य्येन थाई स्थानीय इतिहासकार वांग ह्वान ली ने कहा कि जरा देखिये यह हड्डी सूई । यदि आप पूछेगा कि इस हड्डी सूई की आंख कैसे बनायी गयी है , तो इस का उत्तर आज तक किसी को मालूम नहीं है । क्योंकि तत्काल में कोई धातु औजार नहीं था , डायमंड की बात तो और दूर रही , पर इतनी सख्त हड्डी सूई पर यह आंख फिर कैसे बनी , यह बात अभी भी मेरी समझ में नहीं आयी । इस से जाहिर है कि हमारे आदिम वासी कितने बुद्धिमान और होशियार थे ।

सफेद पत्थर गांव की खुदाई में प्राप्त पत्थर चक्की और पत्थर चक्की डंडा भी बहुत ध्यानाकर्षक हैं । देखने में ये दोनों वस्तुएं काफी भद्दा लगती हैं , पर वे य्येन थाई आदिम कृषि संभ्यता का सब से प्राचीन साक्षी ही हैं । उस समय आदिम वासी पत्थर को तोड़कर पत्थर चक्की व डंडा बनाते थे , फिर उन से चावल व जौ जैसे अनाजों का प्रोसेसिंग करते थे।

विशेषज्ञों का कहना है कि सफेद पत्थर संस्कृति इसीलिये एक अलग ढंग की सांस्कृतिक किस्म मानी जाती है , क्योंकि सफेद पत्थर सांस्कृतिक खण्डहर चीन के पूर्वी शानतुंग की खुदाई में प्राप्त सब से प्राचीन व संपूर्ण नये पाषाण युग सांस्कृतिक खण्डहर ही नहीं , बल्कि खुदाई में बहुत से ज्यादा सीप , सिंघ व मछली हड्डियां भी प्राप्त हुईं । यह चीन की विशेषता वाला सीप सांस्कृतिक खण्डहर ही है , जो मध्य चीन के सांस्कृतिक खण्डहरों में देखने को नहीं मिलता है ।

य्येन थाई का गहरा सांस्कृतिक वातावरण न सिर्फ स्थानीय वासियों को प्रभावित करता है , बल्कि य्येन थाई के दौरे पर आने वाले पर्यटकों को लुभा लेता है । श्री चओ छी शिन पेइचिंग की एक कम्पनी में कार्यरत है , काम की वजह से वह चीन के अधिकतर शहर जा चुका है । पर इस बार य्येन थाई आने के बाद उसे अलग नया अनुभव हुआ ।

उस ने कहा कि य्येन थाई आने से पहले वह य्येन थाई के प्राचीन इतिहास के बारे में ज्यादा नहीं जानता , यहां आने के बाद य्येन थाई शहर के इतिहास से काफी परिचित हो गया है । उस ने चीन के प्रथम राजा छिन शी ह्वांग के घोड़े पालने वाले द्वीप और असाधारण चीनी राष्ट्रीय वीर छी ची क्वांग की बहादुर कारनामा प्रदर्शनी देखी , फिर शहर के केंद्र में स्थित सफेद पत्थर गांव सांस्कृतिक खण्डहर प्रदर्शनी देखी । कोई सात हजार वर्ष पहले हमारे पूर्वजों के जीवन बिताने के आदिम स्थल को देखकर हम बहुत प्रभावित हुए हैं , जिस से मुझ पर गहरी छाप छोड़ रखी गयी है ।