सन् 1969 में ईन छंग-चुंग ने चीन के एक पुराने फासिस्ट विरोधी समूह-गायन के आधार एक पियानो-संगीत रचना बनाई,जो पीली नदी संगीत के नाम से मशहूर रही है। इस पियानो संगीत को बनाने के लिए उन्हों ने अनेक बार पीली नदी के किनारे जाकर स्थानीय मजदूरों के साथ परिश्रम किया और इस नदी का पुरूषार्थ महसूस किया। संगीत रचने के अंतिम दौर में उन्हों ने खुद को संगीत की दुनिया में पूरी तरह डूबो दिया।ऐसा भी होने लगा कि वह तीन दिनों तक कमरे से बाहर नहीं निकलते और हर रोज केवल एक बार खाना खाते ।योजनानुसार इस संगीत-कृति की प्रस्तुति से कई दिन पहले उन के दाएं हाथ की एक उंगली में संक्रमण हो गया।इसे ठीक करने के लिए उन्हें हर रोज उंगली को औषधि-द्रव्य में कई घंटों तक भिगोए रखना पड़ा।अंत में इस संगीत-रचना का प्रस्तुतीकरण सफल रहा। लोगों को इस संगीत में ईन छंग-चुंग के उत्साह और विचार महसूस हुए।बाद में इस संगीत-रचना का प्रस्तुतीकरण ईन छंग-चुंग के हर व्यक्तिगत संगीत-समारोह में अनिवार्य हो गया है।सन् 2005 में विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध में जीत की 60वीं सालगिरह के अवसर पर 50 से अधिक देशों के पियानो-वादकों ने इस संगीत-कृति को प्रस्तुत किया।
सन् 1983 में ईन छंग-चुंग अमरीका के न्यूयार्क में जा कर बस गए।शुरू में उन की जिन्दगी बेरोकटोक नहीं थी। उन्हें आशंका थी कि कहीं पियानो बजाना पड़ोसियों को तंग न करे। इसलिए उन्हों ने कई बार घर बदला। एक लम्बी अवधि के बाद उन्हें एक उपयुक्त आवास मिला।तब से इस में से निकलने वाली संगीत की आवाज आसपास के पथारोहियों को रोक कर इसे सुनने पर विवश करती रही है। संगीत थमते ही बाहर खड़े पथारोही तालियां बजाने लगते हैं। ईन छंग-चुंग के अनुसार अमरीका में बसने के बाद उन का संगीत रचने का दायरा बढ गया है।उन्हों ने कहाः
"न्यूयार्क वर्तमान दुनिया में एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र है।बहुत से देशों के पियानो-वादकों समेत कलाकार और कला-मंडलियां न्यूयार्क में प्रदर्शन करने को जीवन का एक आदर्श मानती हैं।वहां मैं ने विश्व की विभिन्न कलाओं में माहिर हस्तियों से मिलने के मौके प्राप्त किए हैं और उन से बहुत सीखा है।सो न्यूयार्क जाना मेरी जिन्दगी की एक नई शुरूआत कहा जा सकता है। "
ईन छंग-चुंग ने न्यूयार्क में दो बार विश्वविख्यात कार्नेगिए हॉल में व्यक्तिगत वादन-समारोह आयोजित किए है। स्थानीय मीडिया ने यह कहकर उन की प्रशंसा की कि वह चीन के सर्वश्रेष्ठ पियानो-वादक हैं।वह जहां कहीं जाते हैं,धूम मच जाती है।वह अमरीकन कवेलैंड संगीत प्रतिष्ठान के प्रोफेसर भी हैं।अवकाश के समय उन्हों ने अनेक बार अंतर्राष्ट्रीय पियानो-वादन प्रतियोगिताओं में चयनकर्ता के रूप में भी काम किया है।उन के द्वारा प्रशिक्षित बहुत से छात्रों को प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पुरस्कार मिल चुके हैं।
ईन छंग-चुंग ने पियानो-मास्टर के रूप में निमंत्रण पर रूस,जापान,ऑस्टिया,ब्रिटेन,
फ्रांस औऱ जर्मनी आदि कोई 30 देशों की यात्रा की है और मशूहर फ़िलादेल्फ़िया ऑर्क्स्ट्रा मंडली,वियना बैंड संगीत मंडली,मास्को ऑर्क्स्ट्र मंडली और सेंट पिटर्सबर्ग ऑर्क्स्ट्रा मंडली के साथ सहयोग किया है।उल्लेखनीय है कि उन्हों ने रूस में पांच संगीत फिल्में भी बनवाई हैं और अब तक अपनी कृतियों की करीब 30 सीडी जारी की हैं।
ईन छंग-चुंग अपनी जिन्दगी में आए झटकों औऱ प्राप्त उपलब्धियों को बहुत हल्के में लेते हैं।उन का कहना है कि हरेक को जीवन में कम से कम किसी एक चीज का दीवाना जरुर होना चाहिए।इस से वह जिन्दगी जीने का मकसद और सहारा प्राप्त कर सकता है।उन्हों ने कहा कि कठिनाई की हालत में जब वह पियानो के आगे बठते हैं,तो वह तमाम दुख भूल जाते हैं।वह छात्रों में नाम,ख्याति और धन-दौलत पर ज्यादा ध्यान न देने तथा एकाग्रता से सीखने के विचार का प्रचार-प्रसार करते रहे हैं।