2008-02-21 11:24:40

कला-कार्यकर्ता तुंग मंग-यांग

कुछ समय पहले पेइचिंग में आयोजित कला मेला—आर्ट पेइचिंग कला-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना। उस के संयोजक श्री तुंग मंग-यांग फिर से चर्चा में आ गए।

वैसे दो साल पूर्व ही उन्हों ने प्रथम चीनी अंतर्राष्ट्रीय गैलरी चित्र-मेले का सफल आयोजन कराकर कला-जगत में अपनी धाक जमा ली थी। चीनी कला-बाजार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के प्रचलन के साथ जोड़ने के लिए 3 सालों के भीतर ध्यानाकर्षक दो बड़े शानदार काम कर दिखाना कोई आसान काम नहीं है।

तुंग मंग-यांग 40 साल के होने वाले है।पर देखने में वह अपनी असली उम्र से ज्यादा जवान लगते है। उन की खूबसूरती जगजाहिर है,पर हाव-भाव से वह एक सुशील विद्वान जैसे लगते हैं।अनेक फिल्म-निर्देशकों ने कहा कि अगर वह फिल्म में काम करें,तो जल्द ही स्टार बन जाएंगे। खुद उन्हों ने भी माना कि बाल्यावस्था में उन्हों ने एक कलाकार बनने का सपना देखा था,पर वह फिल्म स्टार बनने का सपना नहीं था।

तुंग मंग-यांग उत्तरी चीन के शनशी प्रांत में जन्मे और पले-बढे।बचपन से ही उन्हों ने चित्र बनाने की विशेष शिक्षा लेनी शुरू की। 1992 में श्रेष्ठ छात्र के रूप में पेइचिंग स्थित

केंद्रीय ललितकला प्रतिष्ठान से स्नातक होने के बाद वह चीनी संस्कृति व कला कंपनी में भर्ती हुए। उस समय कंपनी चीन के प्रथम कला-मेले के आयोजन की तैयारी में व्यस्त थी। वह अपनी सुयोग्यता से जल्द ही तैयारी-कार्य में मुख्य शक्ति बन गए।

1993 में चीन का प्रथम कला मेला दक्षिणी शहर क्वांगचो में सफलतापूर्वक आयोजित हुआ।इस बात की चर्चा करते हुए श्री तुंग मंग-यांग ने कहाः

"वह कला मेला सिर्फ आरंभिक तौर का था। उस समय कला का यह रूप चीन में बिल्कुल

नया माना गया। उस में भागीदारी करने वाले सब के सब कलाकार थे,एक भी एजेंट या व्यापारी नहीं था। कलाकारों को अपनी कृतियां जानने वाले चाहिएं और बाजार भी चाहिए,पर पता नहीं था कि उन की चाहत कैसी पूरी की जाए।"

श्री तुंग मंग-यांग के अनुसार विदेशों में चित्र-मेला चित्र-गैलरियों पर आधारित होता है।

कलाकार व्यक्तिगत तौर पर मेले में भाग नहीं लेते। पर चीन में स्थिति कुछ अलग है। 1993 से अब तक आयोजित सभी स्तरों के चित्र-मेलों में कलाकार ही केंद्र रहे हैं। इस का कारण है कि चीन में गैलरी चित्र-व्यवसाय विकास के प्रारंभिक दौर में है। हालंकि चीन में एक सदी से पहले ही चित्र-गैलरी चलाने वाली व्यापारिक संस्था प्रकाश में आ गई थी, पर उस का स्वरूप चित्र-दुकान जैसा था। मतलब कि वह सिर्फ चित्र बेचती थी। वास्तव में चित्र-गैलरी का काम ऐसा होना चाहिए कि वह किसी चित्रकार से अनुबंध कर उस की आर्थिक एजेंट बने और प्रदर्शनी,संग्रहण और बिक्री का काम साथ-साथ चलाए तथा इन कामों के लिए जरूरी आदान-प्रदान का मंच तैयार करे।

चीन में आर्थिक विकास के चलते अधिकाधिक लोगों को कलात्मक वस्तुओं के मूल्यों

की जानकारी प्राप्त हो रही है और ऐसी वस्तुओं का संग्रहण भी शुरू हो रहा है ।इस के साथ अधिकाधिक व्यवसायिक चित्र-गैलरियां भी सामने आईं हैं और चीन में कलात्मक उत्पादों का बाजार फल-फूल रहा है।तो भी कला-मेले में अक्सर यह दृश्य देखने को मिलता था कि खुद कलाकार अपने चित्र लेकर मेले में बाजार लगा रहे हैं। इस दृश्य ने तुंग मंग-यांग को गहरी सोच में डाल दिया। उन्हें चेतना हुई कि उन के लिए आवश्यक कार्य चित्र बनाना नहीं है,चित्रकारों और अन्य कलाकारों के लिए एक व्यापक मंच बनाना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।इसलिए देश में 10 चित्र-मेलों के सफल आयोजन में भाग लेने के बाद सन् 2003 में तुंग मंग-यांग ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। एक महीने तक विश्राम करने के बाद वह प्रथम चीनी अंतर्राष्ट्रीय गैलरी चित्र-प्रदर्शनी के संयोजन में लग गए। उन्होंने कहाः

"विदेशों से मुझे यह सूचना मिली कि वहां चित्र-मले के आयोजन की पूर्व शर्त गैलरी चित्र-प्रदर्शनी लगाना है। 2003 में चीन में चित्र-गैलरियां धीरे-धीरे एक के बाद एक प्रकाश में आईं। बहुत सी विदेशी चित्र-गैलरियों के मालिकों ने भी चीन में नए मौके तलाश करने के लिए आने की इच्छा व्यक्त की। इस स्थिति में मुझे लगा कि चीन में अंतर्राष्ट्रीय बाजार बनने की अब संभावनाएं तैयार हैं और विदेशी कलाकारों को चीन में विकास के मौके ढूंढने की प्रवृति निश्चित हो गई है। इसलिए मैं ने फैसला लिया कि चित्र बनाने के बजाए चीनी कलाकारों और विदेशी कलाकारों के बीच आदान-प्रदान का एक मंच बनाने की दिशा में कुछ करूंगा।"