2008-02-14 10:43:00

ऑलंम्पियाड के आयोजन में रौनक पेइचिंग में सांस्कृतिक अवशेष-संरक्षण

मित्रो,वर्ष 2008 का पेइचिंग ऑलंम्पियाड नजदीक आने के साथ-साथ पेइचिंग में विभिन्न स्तर पर संबंधित तैयारियां जोरों पर चल रही रही हैं। इस ऑलंम्पियाड में सांस्कृतिक रंग लाने के लिए पेइचिंग नगरपालिका ने सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के काम को बहुत मजबूत किया है। हाल ही में उस ने अपने अधीनस्थ 18 सांस्कृतिक अवशेषों से जुड़ी संस्थाओं से सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में सुधार लाने की मांग की है।

इधर के कई वर्षों में पेइचिंग के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में किए गए काम बहुत सराहनीय रहे हैं।पेइचिंग सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो की उपप्रभारी सुश्री य्वी-फिंग का मानना है कि सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण सरकारी संस्थाओं का काम होता है,तो भी वह समाज के विभिन्न समुदायों से अलग होकर पूरा नहीं किया जा सकता है।उन के अनुसार देश में आर्थिक विकास के चलते नागरिकों के पास औऱ देश में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण की वित्तीय शक्ति उपलब्ध हुई है। पूरा समाज इस मुद्दे पर एकमत है कि सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण तमाम लोगों का एक ऐतिहासिक व सामाजिक कर्तव्य है।इस एकमतता औऱ सामाजिक प्रगति से प्रेरक होकर पूरे समाज में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का बेहतरीन वातावरण तैयार हो गया है।

पेइचिंग में लम्बी दीवार,प्राचीन राजप्रासाद और शाही समर पैलेस विश्विख्यात हैं।उन सब को विश्व विरासत का दर्जा मिला है।

लम्बी दीवार विश्व के 7 आश्चर्यों में शामिल है। उस का अब तक का इतिहास दो हजार 700 वर्ष से अधिक पुराना है। लम्बी दीवार का प्रारंभिक रूप ईसा पूर्व सातवीं सदी पहले अस्तित्व में आ गया था। ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी से लेकर 16वीं सदी तक कोई 20 राजवंशों या राज्यों ने लम्बी दीवार का निर्माण या जीर्णोद्धार कराया। पर छिन,हान तथा मिंग इन तीन राजवंशों के दौरान तो यह काम सब से बड़े पैमाने पर चला।लम्बी दीवार के निर्माण का मूल उद्देश्य बाहरी आक्रमण को रोकना था।

प्राचीन राज प्रासाद पेइचिंग के मरकजी इलाके में स्थित है,जो छिंग और मिंग दो राजवंशों का शाही महल था।चीन में सब से अच्छी तरह सुरक्षित सब से बड़ा प्राचीन वास्तु-समूह वही है।

1988 में यूनेस्को ने उसे विश्व सांस्कृतिक संपदाओं की सूची में शामिल किया।

यह प्राचीन राजप्रासाद 7 लाख 20 हजार वर्गमीटर के फर्शी क्षेत्रफल में फैला हुआ है,जिस में करीब 10 हजार कमरे हैं।प्रासाद में सभी मकान लकड़ियों के हैं,जिन की दीवारें लाल रंग की है और छतें पीले खपरैलों की ।

समर पैलेस पेइचिंग के उपनगर में स्थित है।12वीं सदी में वह चीनी सम्राटों का अस्थाई निवास रहा।1888 में छिंग राजवंश की महारानी छी-शी ने सैनिक खर्च से इस का उद्यान के रूप में पुनर्निमाण कराया और उसे नाम दिया "ईहय्वान" यानी समर पैलेस।

समर पैलेस कुल 290 हेक्टर भूमि को घेरे हुए है।इस के दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर वानशो पहाड़ी है और उस के सामने है खुंगमिंग झील।पुरा उद्यान दरबार,महल और उपवन तीन भागों में विभाजित है,जिन में कुल 3 हजार से अधिक भवन या कक्ष हैं।

पैलेस कैम्पस के बीचोंबीच स्थित 728 मीटर लम्बा विशाल गलियारा बहुत प्रसिद्ध है,जिस में जगह-जगह मनोरम चित्र अंकित हैं मानो पूरा गलियारा एक चित्रशाला ही हो।

समर पैलेस के निकट य्वान मिंग य्वान भी पेइचिंग का विख्यात सांस्कृतिक अवशेष है,जिस का मूल रूप 300 साल पुराने एक शाही उद्यान का था।19वीं शताब्दी के अंत से 20वीं सदी के शुरू तक उसे दो बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया गया था।आज उस का खंडहर उस का इतिहास और आलीशान पैमाना लोगों को बता रहा है। पेइचिंगवासी इस खंडहर के संरक्षण में बहुत सचेत रहे हैं।दो साल पहले पेइचिंग नगरपालिका ने इस खंडहर के आधार पर एक नया उद्यान बनाने की योजना प्रस्तुत की थी,लेकिन व्यापक पेइचिंगवासियों ने उस का विरोध किया।सांस्कृतिक अवशेषों की गरिमा का सम्मान करने के उन के विचार को ध्यान में रखकर इस खंडहर को यथावत रहने दिया गया।

पेइचिंग में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-काम का निकट लक्ष्य चालू साल के अंत तक सांस्कृतिक अवशेषों में मौजूद सभी खतरों को मिटाना है,ताकि अगले साल ऑलंम्पियाड के आयोजन के दौरान सभी सांस्कृतिक अवशेष पर्यटकों के लिए खोले जा सकें।