एक राजधानी के रूप में पेइचिंग का इतिहास कोई 850 साल पुराना है,जिस में सांस्कृतिक अवशेष बहुतायत में हैं और उन्हें संरक्षित करने वाली विभिन्न स्तरीय संस्थाएं 2000 से भी अधिक हैं। जैसा कि आप जानते हैं चीन में अधिकांश प्राचीन वास्तु मिट्टी व लकड़ियों से बने हुए हैं। इसलिए इन के स्थाई संरक्षण में दिक्कतें आती हैं और संरक्षण प्राप्त होने पर भी उन में सुरक्षा के लिहाज से कभी-कभार खतरा दिखाई देता है। वर्ष 2000 में पेइचिंग नगरपालिका ने सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य के लिए 33 करोड़ चीनी य्वान का विशेष अनुदान किया। योजनानुसार इस धनराशि का 3 सालों के भीतर शहर के सभी सांस्कृतिक अवशेषों की मरम्मत में प्रयोग किया गया। इस के साथ ही पेइचिंग की विभिन्न स्तर की सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं ने भी इस संदर्भ में 5 अरब चीनी य्वान का निवेश किया।चीन में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के इतिहास में यह अभूतपूर्व है।
चालू साल के शुरू में पेइचिंग सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो ने सांस्कृतिक अवशेषों में मौजूद खतरे के निपटारे के लिए अपने अधीनस्थ संबद्ध 18 संस्थाओं से सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य़ को मजबूती देने और सुधारने की मांग की। पेइचिंग के मरकजी इलाके में स्थित ह्वई-श्यैन भवन कोई 100 साल पुराना है,लेकिन लम्बे समय से उस का जीर्णोद्धार नहीं हुआ है और उस में आकाशीय बिजली निरोधक उपकरण और अग्निशमन की सुविधा नहीं लगाई गई हैं।सो उस की देखरेख करने वाली संस्था से संरक्षण-काम में सुधार लाने की मांग की गई है।पेइचिंग सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो की उपप्रभारी सुश्री य्वी फ़िंग ने कहाः
"हम ने 18 संस्थाओं को सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-काम में सुधार लाने का आदेश दिया है।इस साल के अंत में हम इस आदेश के अमलीकरण में उन के द्वारा किए जाने वाले काम की समीक्षा करेंगे।जो काम मापदंड पर खरा नहीं उतरेगा,उसमें सुधार लाने के लिए हम संबद्ध संस्था के साथ विचार-विमर्श कर नया समाधान पेश करेंगे।"
वर्ष 2003 में पेइचिंग नगरपालिका ने ऑलंम्पियाड में सांस्कृतिक रंग भरने के उद्देश्य से सांस्कृतिक अवशेषों की संरक्षण संबंधी नई योजना का क्रियान्वयन शुरू किया।60 करोड़ य्वान की लागत वाली इस योजना का लक्ष्य सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के काम की गुणवत्ता उन्नत करना है। योजना के तहत मरम्मत करने,आकाशीय बिजली निरोधक उपकरण लगाने,अग्निशमन सुविधा उपलब्ध कराने और सीवर बनाने जैसे काम किए जा रहे हैं। पेइचिंग सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के प्रभारी श्री खुंग फ़ान-छी ने कहा कि संक्षेप में कहा जाए,तो पेइचिंग में सांस्कृतिक अवशेष-संरक्षण के वर्तमान काम को अगले साल होने वाले ऑलंपियाड के लिए सांस्कृतिक वातावरण तैयार करना चाहिए।उन का कहना हैः
"सांस्कृतिक अवशेषों में मौजूद खतरों को दूर करना वर्तमान समय में विशेष अहमियत रखता है। इन खतरों की मौजूदगी राजधानी के रूप में पेइचिंग के वातावरण के लिए और ऑलंम्पियाड के आयोजन के लिए भी ठीक नहीं है। इन्हें दूर करने के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत है।सांस्कृतिक अवशेष राजधानी के सांस्कृतिक वातावरण का एक अहम अंग है। इसलिए उन के संरक्षण का काम ऑलंम्पियाड के आयोजन को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। बेहतरीन सांस्कृतिक वातावरण किसी भी ऑलंम्पियाड के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
इधर के कई वर्षों में पेइचिंग के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण में किए गए काम बहुत सराहनीय रहे हैं।सन् 1954 में दक्षिणी पेइचिंग का जो मशहूर प्राचीन नगर-द्वार नष्ट किया गया था,उस का पुनःनिर्माण हाल ही में पूरा किया गया है।इस तरह पेइचिंग के बीचोंबीच उत्तर से दक्षिण तक के वास्तु-समूहों की पूर्णता बहाल हो गई है।इन वास्तु-समूहों की पूर्णता से कई राजवंशों की राजधानी के रूप में पेइचिंग की वास्तु-निर्माण की संस्कृति एवं अवधारणाएं प्रतिबिंबित होती हैं। विश्व विरासतों की सूची में शामिल पेइचिंग का प्राचीन राजप्रासाद,चोखोत्यान पेइचिंग कपिमानव का अवशेष,त्यैन-थान शाही पार्क और लम्बी दीवार तथा पेइचिंग विशेषता वाले प्रांगण युक्त प्राचीन मकान इन वास्तु-समूहों में शामिल हैं और उन सब को पुनःनिर्माण में प्राथमिकी मिली है।