एक रहस्यमय स्थल के रूप में तिब्बत हमेशा से लोगों को आकष्ट करता रहा है । विश्व के सब से ऊंचे पठार यानी छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की औसतन ऊंचाई समुद्र की सतह से चार हज़ार मीटर से ज्यादा है ।
तिब्बत के नीले आसमान व स्वच्छ पानी के संरक्षण के लिए स्वायत्त प्रदेश की सरकार औद्योगिक विकास के साथ-साथ आर्थिक मुनाफ़े, सामाजिक मुनाफ़े और पर्यावरण मुनाफ़े पर समान रूप से सोच-विचार करती है न कि मात्र आर्थिक मुनाफ़े के लिए अंधाधुंध काम करती है । स्थानीय सरकार स्रोत पर ही पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाती है ।
उदाहरण के लिए छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग के निर्माण के दौरान पर्यावरण संरक्षण को भारी महत्व दिया गया था । तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 400 किलोमीटर दूर स्थित नामत्सो झील है, जिस का क्षेत्रफल तीन सौ वर्गकिलोमीटर है । झील का पानी बहुत स्वच्छ है और आसपास हरे प्राकृतिक घास-मैदान बहुत विशाल हैं । यहां जंगली हंस और नीलगाय आदि जंगली जानवरों का घर भी है । वर्तमान में छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग से नामूत्छे झील की दूरी सब से कम है । झील और रेल मार्ग के बीच सब से कम दूरी सिर्फ़ दसियों मीटर की है । श्री यान फेइचुन नामूत्छे झील के नज़दीक रेल मार्ग के निर्माण के लिए जिम्मेदार थे । रेल मार्ग के निर्माण के दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की चर्चा में उन्होंने कहा:
"नामूत्छो झील के पानी को प्रदूषण से दूर रखने के लिए हम ने कई कदम उठाए । रेल वे और झील के बीच हम ने रेत का बांध बनाया, ताकि झील के स्वच्छ पानी को बचाए रखा जा सके।"
अब छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू हुए एक साल बीत चुका है । नामूत्छो झील पहले की ही तरह स्वच्छ है और जंगली हंस आदि अपना शांत जीवन बिता रहे हैं ।
दोस्तो, वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण को मज़बूत करना चीनी समाज का समान विचार बन गया है। पर्यावरण संरक्षण न सिर्फ़ सरकारी विभाग का कार्य है, अनेक गैर सरकारी संगठन पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण शक्तियां बन गईं हैं। मसलन हरी नदी पर्यावरण संरक्षण संवर्द्धन संघ ने कुछ समय पूर्व स्वयं सेवकों को बुलाकर छिंगहाई-तिब्बत रेल गाड़ी में पर्यावरण संरक्षण विचारधारा का प्रसार किया, उन्होंने तिब्बत की यात्रा करने वाले पर्यटकों को तिब्बत की पारिस्थितिकी व पर्यावरण का कैसे संरक्षण करें,यह बताया । इस संगठन के जिम्मेदार व्यक्ति श्री यांग शिन ने जानकारी देते हुए कहा कि छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद हर वर्ष नौ लाख पर्यटक रेल गाड़ी के जरिए तिब्बत की यात्रा पर जाते हैं । अगर उन के पास तिब्बत के पारिस्थितिकी पर्यावरण संरक्षण के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं होगा, तो वहां के पारिस्थितिकी पर्यावरण पर कुप्रभाव पड़ेगा । श्री यांग शिन का कहना है:
"छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात सेवा शुरू होने के बाद इतने लोग रेल गाड़ी के जरिए तिब्बत जाते हैं । जिस से छिंगहाई-तिब्बत पठार के पर्यावरण पर बड़ा दबाव पड़ता है । हमारा विचार है कि रेल गाड़ी में जाकर हर पर्यटकों को संबंधित शिक्षा दें और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी विचारधारा का और विस्तृत रूप से प्रसार करें। हम हर पर्यटक को पठारीय हरित दूत बनाने की कोशिश करते हैं, ताकि उन की पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा को छिंगहाई-तिब्बत पठार तक पहुंचाया जा सके ।"
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के स्थाई मामलों के जिम्मेदार उपाध्यक्ष श्री हाओफङ ने कहा कि तिब्बत महत्वपूर्ण परियोजनाओं के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण को मज़बूत करता है और भारी प्रदूषण वाली परियोजनाओं पर रोक लगाता है । इस के साथ ही स्वायत्त प्रदेश की सरकार क्षेत्रीय श्रेष्ठता पर निर्भर रहकर स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर भी जोर देती है मसलन सौर ऊर्जा का प्रयोग । श्री हाओफङ ने जानकारी देते हुए कहा:
"तिब्बत हमारे देश में सूर्य की सब से तेज़ रोशनी वाला क्षेत्र है । यहां हर साल तीन हज़ार घंटे सूर्य की रोशनी होती है । इस के साथ ही तिब्बत पठार अन्य स्थलों की तुलना में सूर्य से ज्यादा नज़दीक है । इस तरह हर साल हर वर्गसेंटीमीटर के क्षेत्रफल में सब से ज्यादा ऊर्जा पैदा होती है । इस तरह सौर ऊर्जा का विकास करना तिब्बत की अद्वितीय अच्छाई है ।"
सूत्रों के अनुसार वर्तमान में तिब्बत में सौर ऊर्जा से दस हज़ार किलोवाट बिजली पैदा होती है । स्थानीय किसानों व चरवाहों के घर में सौर ऊर्जा सरंजामों को लगाया गया है । अनेक दूर संचार, रेडियो और टी.वी. सरंजामों के लिए ऊर्जा भी सौर ऊर्जा से आती है ।
अब तिब्बत के अधिकांश जंगल, नदियां, झीलें, घासमैदान, दलदल भूमि, हिमनदी, बर्फीले पहाड़ तथा जंगली जानवरों का अच्छी तरह संरक्षण किया जा रहा है । यहां के पानी और वायु की गुणवत्ता बेहतरीन स्थिति में बरकरार है ।
सूत्रों के अनुसार अब तक तिब्बत में विभिन्न प्रकार के सात प्राकृतिक संरक्षण केंद्रों की स्थापना हुई है, जिन का क्षेत्रफल चार लाख 10 हज़ार वर्गकिलोमीटर है, जो तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का एक तिहाई है ।
(श्याओ थांग)