हालांकि चन-छ्वान निजी तौर पर सफल रहे,पर चीन में वायलन बनाने का स्तर ऊंचा नहीं है।1988 में चन-छ्वान ने स्वदेश लौटकर वायलन बनाने की चीनी शैली वाली पद्धति शुरू करने का निर्णय लिया। इस की चर्चा करते हुए उन्हों ने कहाः
"चीन में वायलन बजाने का स्तर उन्नत हुआ है,पर वाद्ययंत्रों के निर्माण का स्तर इस से काफी पिछड़ा है। इस कमी को पूरा करने की जरूरत है।इस के लिए ही मैं इटली गया,सो स्वदेश लौटने के बाद मुझे इस क्षेत्र में कुछ न कुछ करना चाहिए था। मैं ने केंद्रीय संगीत प्रतिष्ठान में वायलन-निर्माण की कक्षा खोली।"
चन-छ्वान न केवल खुद वायलन-निर्माण में संलग्न रहे,बल्कि देश के लिए वायलन बनाने वाले सुयोग्य व्यक्ति तैयार करने की आशा भी करते रहे। इसलिए स्वदेश लौटने के बाद उन्हों ने जो पहला काम किया,वह केंद्रीय संगीत प्रतिष्ठान के वायलन-निर्माण अनुसंधान केंद्र का पुनःनिर्माण है।1989 में उन के नेतृत्व वाले इस अनुसंधान केंद्र ने पहली बार विद्यार्यथियों को दाखिला दिया।इन विद्यार्थियों को शिक्षा देने के दौरान चन-छ्वान ने इटली में प्राप्त संबंधित प्रगतिशील सिद्धांतों और तकनीक को बारीक ढंग से विद्यार्थियों को बताय़ा । विद्यार्थियों ने भी एकाग्र होकर उन से सीखा। 2003 में इटली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वायलन-निर्माण प्रतियोगिता में जो 20 पुरस्कार विजेता घोषित किए गए,उन में से 7 चन-छ्वान के छात्र थे।
चन-छ्वान का अन्य एक लक्ष्य चीनी लकड़ियों से बनने वाले वायलन को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलवाना था। इसलिए उन्हों ने अपने अनुसंधान-कार्य में प्राप्त उपलब्धियों का,जिन में लकड़ी सामग्री की गुणवत्ता में सुधार,उन के पुरानेपन का निबटारा और रोगन की नयी तकनीकें शामिल हैं, व्यावहारिक प्रयोग किया। आवश्यक लकड़ी सामग्री पैदा करने वाले पेड़ों के विकास की स्थिति जानने के लिए उन्हों ने देश के लगभग सभी घने जंगल वाले क्षेत्रों का दौरा किया।उन्हों ने कहाः
"वायलन बनाना विज्ञान और कला से जुड़े समृद्ध ज्ञान पर निर्भर करता है।उसे बनाने वालों को बहुत सी संबद्ध वैज्ञानिक जानकारी हासिल करने के साथ कला समीक्षक व अनुभव संपन्न भी होना चाहिए।"
चन-छवान ने अंतर्राष्ट्रीय वायलन-निर्माण जगत में अपने प्रभाव का फायदा उठाकर चीन और विदेशों के बीच वायलन-निर्माण क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढावा देने का बड़ा प्रयास किया है।1997 में उन्हें चीनी राजकीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा फ़्रांस भेजा गया,ताकि चीन में वायलन की गुणवत्ता का निर्धारण,वायलन की मरम्मत और वायलन-गज़ के निर्माण में मौजूद खामियों को दूर किया जा सके। 2002 में चन-छ्वान ने शांघाई शहर में चीन के सभी वायलन बनाने वाले कलाकारों की कृतियों की प्रथम प्रदर्शनी लगवाई। इस के अलावा उन्हों ने पेइचिंग,शाँघाई,नानचिंग और क्वांगचो आदि बड़े शहरों में वायलन-संगीत के विषय पर संगीत महफिलों और सेमिनारों का आयोजन भी किया।लेख लिखना भी उन का एक बड़ा शौक है। वे अक्सर 《चीनी संगीत》पत्रिका में वायलन-संगीत कृतियों की समीक्षा और वायलन के निर्माण के बारे में अपने निबंध व लेख प्रकाशित करते हैं। उन के अनुसार वायलन बनाने में आंख,हाथ औऱ दिल को एक साथ काम करने की जरूरत है।ऐसा करने से ही दिमाग में पूर्व खींची गई कल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता है।वायलन बनाना देवमूर्ति तराशने जैसा कहा जा सकता है।
इधर के कुछ वर्षो मे चीन में वायलन बनाने का स्तर बहुत उन्नत हो गया है।चन-छवान का मानना है कि वायलन बनाने की चीनी शैली वाली पद्धति के विकास के लिए अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना बाकी है।उन्हें आशा है कि वायलन जैसे पाश्चात्य वाद्ययंत्र बनाने में पूर्वी संस्कृति को समेटा जाएगा।