दोपहर को सुबह की कक्षा समाप्त हुई। सांगचेछ्वीचन अवकाश के समय इन भिक्षुणी सहपाठियों की मदद करने को तैयार थी, जो कक्षा में दी गई शिक्षा नहीं समझीं। सांगचेछ्वीचन ने कहा कि अपराह्न भी कक्षा चलती है, यदि सुबह दी गई शिक्षा समझ में नहीं आई, तो अपराह्न की कक्षा और भी कठिन लगेगी। उनका यह भी कहना है कि हर रोज कक्षा से अपने-अपने कक्ष लौटने के बाद भिक्षुणियां होमवर्क करती हैं। उनमें से कई लोग अवकाश के समय खगोलविज्ञान, इतिहास और तिब्बती चिकित्सा-विद्या भी सिखती हैं।
भिक्षुणी सांगचेछ्वीचन ने कहा कि मठ में नल-पानी, बिजली और क्लिनिक आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं। मठ से बाहर जाने वाला पक्का मार्ग भी भिक्षुणियों के जाने-आने में आसानी लाता है। इस समय मठ में रहने वाली तमाम भिक्षुणियां बौद्ध धर्म के अध्ययन में लगी हैं। उन सभी की तमन्ना है कि बौद्ध धर्म की अधिक जानकारी हासिल कर विद्वान जैसी बनेंगी।