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दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में चीन-भारत आदान प्रदान का नया रूप नज़र आया
2016-01-11 14:22:54 cri

अब चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में नई दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहा है। 40 से अधिक सालों के विकास के चलते दिल्ली विश्व पुस्तक मेला भारत में सबसे बड़े पैमाने वाला पुस्तक मेला बन गया है। 2014 में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच चीन-भारत सांस्कृतिक आदान प्रदान परियोजना बनाने पर सहमत हुए। इसके तहत संस्कृति, शिक्षा, पर्यटन, धर्म, फिल्म, रेडियो, मीडिया और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में आदान प्रदान और सहयोग विस्तार किया जाएगा। इसी परियोजना में वर्ष 2016 के दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में प्रमुख अतिथि देश के रूप में चीन की भागीदारी शामिल है।

9 जनवरी को पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में चीनी राजकीय प्रेस, प्रकाशन, रेडियो, फिल्म और टेलीविजन ब्यूरो के उप प्रमुख सुन शोशान ने कहा:"अब चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में नई दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहा है। वर्ष 2010 में भारत 17वें पेइचिंग अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का प्रमुख अतिथि देश बना था। यह दोनों देशों के प्रकाशन जगत के बीच एक और आवाजाही गतिविधि है, जिसका चीन-भारत प्रकाशन आवाजाही इतिहास में सक्रिय प्रभाव पड़ेगा।"

प्रमुख अतिथि देश के रूप में चीन ने"सभ्यता का पुनरुत्थान, आदान प्रदान और एक दूसरे से सीखे"को विषय बनाकर 81 प्रकाशन इकाईयों को मौजूदा पुस्तक मेले में भाग लेने भेजा। इन प्रकाशन इकाईयों के कुल 5 हज़ार से अधिक प्रकार की 10 हज़ार पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं। इन पुस्तकों से चतुर्मुखी तौर पर वर्तमान में चीन के राजनीति, अर्थतंत्र, समाज और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आने वाले परिवर्तन जाहिर हुआ। चीनी भाषा और अंग्रेज़ी की पुस्तकों के अलावा चीन में अनुवाद की गई 150 भारतीय पुस्तकें और भारत में अनुवाद की गई 19 चीनी पुस्तकें भी शामिल हैं।

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