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दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में चीन-भारत आदान प्रदान का नया रूप नज़र आया
2016-01-11 14:22:54 cri

पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में अतिथि (चीनी राजदूत ल यूछंग बायं तरफ़)

भारतीय महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर की कविताएं चीन में बहुत लोकप्रिय हैं। कुछ समय पूर्व उनकी रचना"स्ट्रे बर्ड्स" यानी उन्मुक्त पंछी"के नए अनुवादित संस्करण चीन में सामने आया। लेकिन भारतीय नागरिकों के पास चीनी साहित्य के प्रति कैसा अनुभव है?24वां विश्व पुस्तक मेला 9 जनवरी को भारत की राजधानी दिल्ली में शुरू हुआ। चीन प्रमुख अतिथि देश के रूप में इसमें हिस्सा ले रहा है। इस सुअवसर का लाभ उठाते हुए आज हम मेले में जाएंगे, और देखेंगे पड़ोसी देशों के रूप में विश्व में सबसे बड़े दो विकासशील देशों के रूप में चीन और भारत के बीच एक दूसरे की संस्कृति के प्रति समझ वास्तव में कैसी है।

टैगोर भारतीय साहित्य के प्रतीक वाले कवि हैं। उनकी कविताओं को हाल में एक चीनी लेखक ने नए तौर पर अनुवाद किया, जिसे चीनी लोगों ने काफी पसंद किया। लेकिन आम भारतीय लोगों के विचार में चीनी लेखक और उनकी रचनाएं कैसी हैं?प्रगति मैदान में आयोजित मौजूदा विश्व पुस्तक मेले में हमारे संवाददाता ने एक सर्वेक्षण किया। उन्होंने पुस्तक में आने वाले आम दर्शकों से दो सवाल पूछे। यानी कि क्या आपने चीनी पुस्तक पढ़ी है?आप किस चीनी लेखक के बारे में जानते हैं?दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थी शिवान, मीडिल स्कूल की प्रिंसिपल सोनिया लूथरा और एक सरकारी कर्मचारी ने अपने जवाब दिये।

शिवान:"मैने चीनी पुस्तक नहीं पढ़ी।"

सोनिया लूथरा:"नहीं पढ़ी है।"

सरकारी कर्मचारी:"मैंने सुर्फ़ चीनी लेखक लू शुन का नाम सुना है, लेकिन कोई चीनी पुस्तक नहीं पढ़ी।"

इन लोगों के यह जवाब आश्चर्यजनक नहीं है। प्राचीन सभ्यता वाले दोनों देशों के रूप में चीन और भारत के बीच मित्रवत आवाजाही और सांस्कृतिक आदान प्रदान का इतिहास 2 हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। आधुनिक जमाने में रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाओं से चीनी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा। वहीं चीनी लेखक लू शुन को भी भारतीय पाठक भी पसंद करते हैं। लू शुन की कई रचनाएं हिन्दी, ऊर्दू, बंगाली और तमिल जैसी भाषाओं तक अनुवाद किए जाने के बाद भारत में लोकप्रिय रही हैं। लेकिन आजकल चीन और भारत के साहित्यिक आदान प्रदान टैगोर और लु शुन के दायरे को विस्तार नहीं किया गया है।

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