Web  hindi.cri.cn
    पगोडा
    2015-05-28 19:10:23 cri

    स्तूपाकार पगोडा गुंबदनुमा होता है, इसका मध्य भाग थोड़ा संकरा होता है। यह किसी अन्य शैली के पगोडा से अधिक भारतीय है। य्वान राजवंश(1271-1368) में लामा बौद्धधर्म के प्रचलित होने के साथ-साथ पूरे देश में बड़े पैमाने पर ऐसे पगोडा का निर्माण हुआ। हालांकि इसे लामा स्तूप भी कहते हैं, पर लामा धर्म के प्रचलन से बहुत पहले ऐसे पगोडा चीन में बनने लगे थे। इसके प्रमाण ताथुडं की युनकाडं गुफाओ की नक्काशी और तुनह्वाडं के भित्तिचित्रों में उत्तरी वेइ राजवंश(385-534) के समय से मिलते हैं।

    वज्त्रासन से युक्त पगोडा वस्तुतः पांच पगोडों का समूह है, जो भारतीय आदिप्ररूप से समान बनाए गए। दक्षिणी और उत्तरी राजवंशों(420-589) के समय यह शैली प्रचलित थी। ऐसा कहा जाता है कि पंचसमूह पगोडा वज्त्रधुत के पांच बौद्धों की प्रतिष्ठापना के लिए बनाया गया था। इस शैली के वर्तमान पगोडों का निर्माण अधिकांशतः मिडं राजवंश के बाद हुआ।

    1 2 3 4
    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040