थ्येनआनमन द्वार के ठीक पीछे शाही निषिद्ध नगर(राजमहल) है, जिसमें मिडं व छिडं दो राजवंशों की कुल 25 पीढ़ियों के सम्राटों ने निवास किया। आज इसे प्राचीन राज प्रासाद संग्रहालय बना दिया गया है। थ्येनआनमन द्वार के सामने एक विशाल चौक है, इसका क्षेत्रफल 4 लाख वर्गमीटर है और यह दुनिया का सबसे बड़ा चौक है। चौक के पूर्व में चीनी ऐतिहासिक संग्रहालय स्थित है, पश्चिम में वृहत जन सभा भवन है, जिसमें राज्य की महत्वपूर्ण सभाएं होती हैं और सरकारी नीतियां तय की जाती हैं।
आम दिनों में लोग स्वेच्छा से थ्येनआनमन द्वार के मध्य गेट से प्रवेश कर सकते हैं और शाही प्रासाद का दौरा कर सकते हैं अथवा थ्येनआनमन द्वार चौक में चहलकदमी कर सकते हैं। किन्तु पिछले तीस से अधिक वर्षों में आम लोगों के लिए थ्येनआनमन द्वार के ऊपरी भवन में प्रवेश वर्जित था।
1966 के अगस्त से नवम्बर तक अपने जीवन के आखिरी वर्षों में अध्यक्ष माओ चतुडं ने थ्येनआनमन द्वार के भवन से कुल आठ बार लाखों "लाल रक्षकों" से सलामी ली और इस प्रकार समूचे देश में "सांस्कृतिक क्रांति" बरपा हुई, जिससे पूरे देश को भारी मुसीबतें झेलनी पड़ीं। इसके बाद के अनेक वर्षों के दौरान चीनियों ने अपने सुख-दुख, खुशी-गम, यहां तक कि सभी परेशानियां इसी चौक में आकर प्रकट कीं।
1976 के शुरू में लोकप्रिय प्रधान मंत्री चओ एनलान चल बसे। 5 अप्रैल को यानी पितृ पूजा उत्सव के मौके पर लाखों पेइचिंगवासी स्वेच्छा से थ्येनआनमन द्वार के चौक में इकट्ठे हुए, वहां उन्होंने प्रधान मंत्री चओ एनलाए को श्रद्धांजलि दी, पदच्युत तडं श्याओफिडं के प्रति समर्थन प्रकट किया, इस तरह यह घटना देश-विदेश में विख्यात "पांच अप्रैल घटना" बनी और इससे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में जनमत की इच्छा से भारी परिवर्तन आया।
उसी वर्ष अक्तूबर में "चार व्यक्तियों के गिरोह" का पतन हुआ, खुशी मनाने के लिए पेइचिंगवासी फिर खुद-ब-खुद थ्येनआनमन चौक में एकत्र हुए। इस तरह दस वर्षों की "सांस्कृतिक क्रांति" जहां से बरपा हुई, फिर वहीं आकार समाप्त हो गई।