तथाकथित आभासी मुद्रा एक डिजिटल मुद्रा है जो किसी भौतिक वस्तु या राष्ट्रीय संप्रभुता पर आधारित नहीं है, जिन में से एक है बिटकॉइन। अमेरिका में किसी राजनेता ने भी आरक्षित मुद्रा के रूप में बिटकॉइन का उपयोग करने का दावा किया। उधर, उभरती अर्थव्यवस्थाएं दूसरों के द्वारा वित्तीय दबाव डालने और धोखा देने का निशाना बन सकती हैं। इसलिए, उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आभासी मुद्राओं से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए हर संभव उपाय करना चाहिए।
विश्व की औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखला की संरचना एक पिरामिड की तरह है। उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों वाले कुछ देश पिरामिड के शीर्ष पर बैठे हैं और प्रतिस्पर्धियों के तकनीकी विकास को दबाने के लिए यथासंभव प्रयास करते हैं। हालाँकि, इसके बावजूद, उभरती अर्थव्यवस्थाओं का आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति अजेय है। निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए। यदि कुछ देश मुक्त व्यापार के सिद्धांत को कुचलने पर जोर देते हैं, तो हमें भी आवश्यक जवाबी कदम उठाना पड़ेगा।
बेल्ट एंड रोड पहल ने अपनी स्थापना के बाद से पिछले दस वर्षों में सभी भाग लेने वाले देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। अब तक, चीन ने 150 से अधिक देशों और 30 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ बेल्ट एंड रोड पहल पर 200 से अधिक सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं।
हाल ही में, चैटजीपीटी और सोरा जैसी एआई की नवीनतम प्रगतियों ने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है। अभी तक अमेरिका को अंग्रेजी डेटा का लाभ मिलता है और इसमें सबसे उच्च-स्तरीय चिप्स हैं, इसलिए कोई भी नवीनतम एआई तकनीक में अमेरिका की बढ़त को पार नहीं कर सकता है। हालाँकि, किसी भी वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को मूल्यवान होने के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोग में रखा जाना चाहिए।
हर कोई अपनी नियति को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, पर कुछ लोगों के प्रयासों ने शुरू से ही गलत दिशा चुनी है क्योंकि उन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रयासों को देश और राष्ट्र की नियति से नहीं जोड़ा है। जबकि कुछ और लोग अपने संघर्षों को देश और राष्ट्र की नियति के साथ जोड़ते हैं, ऐसे प्रयास बहुत सार्थक हैं। उदाहरण के लिए, जब चीन विदेशी आक्रमण से पीड़ित था, तो कई अद्भुत लोगों ने भिन्न भिन्न तरीकों से अपने देश और राष्ट्र को आज़ाद कराने में मदद की। जब देश और राष्ट्र आज़ाद हुए, तो उन्हें खुद भी बड़े सम्मान मिले।
पूंजी का सार लाभ के लिए प्रयास करना है। राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों सहित सभी उद्यमों को अपने अस्तित्व और विकास को बनाए रखने के लिए मुनाफा प्राप्त करना होगा। हालाँकि, उद्यमों, विशेष रूप से बड़े उद्यमों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। बड़े उद्यम केवल मुनाफा कमाने वाला उपकरण नहीं हैं, उनके हर कदम का देश और समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। विशेष तौर पर राष्ट्रीय संप्रभुता, पर्यावरण, लोगों की आजीविका और रोजगार जैसे मुद्दों पर बड़ी कंपनियों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां निभानी होंगी।
चीन के विकास के इस चरण में, आर्थिक परिवर्तन और उन्नयन करना अनिवार्य है, अन्यथा चीन मध्य-आय के जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा। अब चीन में प्रति व्यक्ति के लिए जीडीपी लगभग 13,000 अमेरिकी डॉलर है। यदि चीन एक विकसित अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, तो इसे अंतरराष्ट्रीय औद्योगिक श्रृंखला के उच्च स्तर पर जाने का प्रयास करना पड़ेगा, जिसके लिए आर्थिक संरचना और तकनीकी स्तर को और ऊपर उठाने की आवश्यकता है।
मार्च 2023 में, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से चीन के "विकासशील देश" के दर्जे को रद्द करने का एक मसौदा कानून पारित किया। मतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन को एक विकासशील देश के रूप में नहीं माना है। उधर, चीन ने बाद में अमेरिकी प्रस्ताव पर अपना विरोध जताया, चीन का मानना है कि वह अभी भी एक विकासशील देश है। चीन एक विकासशील देश है या नहीं, इस संबंध में विश्व पर अलग-अलग राय हैं।
चीन और भारत जैसे विकासशील देशों में, राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम अर्थव्यवस्थाओं में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के बिना, बिजली आपूर्ति, जल आपूर्ति, दूरसंचार, प्राकृतिक गैस, राजमार्ग नेटवर्क, हाई-स्पीड रेल नेटवर्क, हवाई अड्डे, बंदरगाह, शहरी रेल पारगमन जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की गारंटी असंभव है। इसके अलावा, बुनियादी उत्पादन और जीवन समर्थन परियोजनाएं जैसे विमानन, एयरोस्पेस, राष्ट्रीय रक्षा, भोजन, खाद्य तेल और निवासियों की राशन प्रणाली आदि का चलन भी नहीं किया जा सकता है।
कुछ पश्चिमी राजनेता जानबूझकर चीन के आर्थिक और तकनीकी प्रगतियों को दुनिया के लिए एक प्रकार का खतरा बताते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हमेशा अपने मूल्यों और विकास मॉडल के आधार पर आंकने के आदी रहे हैं, लेकिन उन्होंने चीन की अद्वितीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और विकास पथ को नजरअंदाज कर दिया है। कुछ पश्चिमी राजनेताओं ने पूर्वी सभ्यता के बारे में अपनी ग़लतफ़हमी बनाये रखकर सोचते हैं कि चीन विकसित होने के बाद पश्चिम की तरह आधिपत्य के पुराने रास्ते पर चलेगा। हालाँकि, ऐसा नहीं भी हो सकता है।
कुछ पश्चिमी विद्वानों का मानना है कि चीनी लोगों को विचारों की स्वतंत्रता नहीं है। वास्तव में, प्राचीन काल से ही चीन की सांस्कृतिक परंपरा यह रही है कि भिन्न भिन्न विचारों के बीच स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा की जाती है। चीनी लोगों के विचार की स्वतंत्रता कभी भी प्रतिबंधित नहीं हुई है। इतिहास में अनगिनत अशांत लहरों से गुजर कर, चीन आज भी सही विकास मार्ग खोजने के लिए विभिन्न विचारों के वाद-विवाद से निष्कर्ष निकालने पर निर्भर है।
किसी दृष्टि से मानव समाज का इतिहास विभिन्न वर्गों के बीच अपने-अपने हितों के लिए हुए भीषण संघर्षों का इतिहास है। लेकिन, यह भी सच है कि केवल वे देश जो विभिन्न वर्गों के बीच संघर्षों को ठीक से हल कर सकते हैं और समाज के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को प्राप्त कर सकते हैं, जोरदार आर्थिक विकास कर सकते हैं। क्योंकि केवल एक सामंजस्यपूर्ण और खुशहाल समाज में ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्धि हो सकती है और इससे अर्थव्यवस्था के सुचारू विकास को आगे बढ़ाया जा सकता है।