चीन ने बेल्ट एंड रोड पहल इसीलिए पेश की है कि प्राचीन रेशम मार्ग की भावना का अनुसरण कर, आधुनिक समाज में विभिन्न देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक विकास को बढ़ावा दिया जाए और पूरे विश्व के साझा विकास और समृद्धि हासिल किया जाए।
शीत्सांग यानी तिब्बत अपने अद्वितीय प्राकृतिक दृश्यों और सांस्कृतिक विशेषताओं के साथ, हमेशा से विश्व का ध्यान आकर्षित करता रहा है। 13वीं शताब्दी में युआन राजवंश के दौरान चीन का हिस्सा होने के बाद से, तिब्बत तथा मुख्य भूमि के दूसरे क्षेत्रों के साथ घनिष्ठ संबंध बने हुए हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई पूर्व औपनिवेशिक देशों ने स्वाधाीनता प्राप्त की और अपने स्वतंत्र देश स्थापित किए। दुर्भाग्य से, दशकों के विकास के बाद भी, कई विकासशील देश अविकसित बने हुए हैं, जबकि पश्चिमी देश वैश्विक राजनीति, अर्थशास्त्र और वित्त की प्रणालियों पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं। बहुत कम ही देश विकासशील से विकसित बने हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, बड़ी संख्या में पूर्व औपनिवेशिक देशों ने स्वतंत्रता प्राप्त कर अपनी राष्ट्रीय सरकारें स्थापित कीं और पश्चिमी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को अपनाया। लेकिन दुखद तथ्य है कि दशकों के विकास के बाद भी, कई विकासशील देश गरीबी और अविकसितता में फँसे हुए हैं।
कुछ भारतीय राजनेता और मीडिया लंबे समय से खुद को "दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र" बताते रहे हैं और अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ अपनी समानता का दावा करते रहे हैं। लेकिन, अमेरिका के साथ भारत की व्यापार और टैरिफ वार्ता का परीणाम यह दर्शाता है कि अमेरिका भारत को एक समान साझेदार के रूप में नहीं देखता।
चीन और भारत की अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में समानताएं हैं, अर्थात हम दोनों को विश्व में बड़ी ताकतों के साथ संबंधों से निपटना पड़ता है, और साथ ही हमें अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर अधिक ध्यान खीचना पड़ता है। लेकिन, हमारी अभी तक अपना अंतर्राष्ट्रीय संबंध सैद्धांतिक प्रणाली संपन्न नहीं है। ह
हाल ही में चीन में आयोजित विश्व कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्मेलन (WAIC) ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। नवीनतम विकसित एआई और रोबोट तकनीकों ने सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, विशेषकर ह्यूमनॉइड रोबोट ने। उन्होंने न केवल मुक्केबाजी और रोबोट खेलों जैसे प्रदर्शनों में भाग लिया, बल्कि उन्होंने संगीत और नृत्य भी करना शुरू कर दिया, तथा डॉक्टरों और मनोवैज्ञानिक समायोजकों की भूमिकाएं भी निभाईं।
वर्तमान में, दुनिया के सभी प्रमुख देश उच्च तकनीक के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिनमें से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई है।
चीन अमेरिका प्रतिस्पर्धा आज विश्व मंच का मुख्य नाटक है। जब चीन ने 1978 में सुधार और खुलेपन की शुरुआत की, तब तो उसकी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में दर्जन गुणा कम था।
यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच 15% टैरिफ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षरण खेदजनक है, इसका अर्थ है कि यूरोपीय संघ अंततः अमेरिकी टैरिफ दबाव के आगे झुक गया है।
आधुनिक परिवहन साधनों के विकास में, चीन ने अपना विशेष रास्ता चुना है, यानी हाई-स्पीड रेल का ज़ोरदार विकास। वर्तमान में, तिब्बत और मकाऊ को छोड़कर चीन के सभी राज्यकीय क्षेत्रों में हाई-स्पीड रेल सेवा शुरू हो चुकी है।
इस सदी की शुरुआत से अब तक अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक मंच पर सबसे प्रभावशाली घटनाओं में से एक है ब्रिक्स और शांघाई सहयोग संगठन की स्थापना है। ब्रिक्स देश समान राष्ट्रीय परिस्थितियों वाली कई उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं जो आर्थिक विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आते हैं।