हाल ही में मैंने प्रोफेसर पाई खाईयुआन से इंटरव्यू लिया। यह पूछे जाने पर कि आप ने कब बंगाली साहित्यिक रचनाओं का अनुवाद शुरु किया, तो वे कह रहे हैं,
वर्ष 1976 के बाद चीन में विदेशी साहित्यिक रचनाओं का चीनी में अनुवाद करने की एक लहर सी उठ गई। इस से प्रेरित हो कर मैंने बंगाली साहित्यिक रचनाओं का चीनी अनुवाद करना शुरु किया। मेरी अनुदित प्रथम बंगाली साहित्यिक रचना, एक कहानी संग्रह थी, नाम है ---उपद्रवी जवानों की कहानी---MOHA BIDROHIR KAHINI शुरु में साहित्यिक अनुवाद में मुझे बड़ी मुश्किल महसूस हुई। चुंकि चीन में अब तक कोई बंगाली चीनी शब्द कोश नहीं है, इसलिए, जब कोई कठिन शब्द मिला तो पहले बंगाली अंग्रेजी शब्द कोश का सहारा लेना, फिर अंग्रेजी चीनी शब्द कोश का सहारा लेना पड़ता था। जब एक बहु अर्थी शब्द मिला, तो लोहे का चना चबाना पड़ा। चुंकि हाई स्कूल पास होने के फौरन बाद मैं बंगाली सीखने बंगाल देश गया। इसलिए, मेरी साहित्यक रचनाओं की बुनियाद पुख्ता नहीं थी, सो अनुवाद करने के साथ-साथ मुझे चीनी साहित्यिक रचनाओं का अध्ययन करना पड़ता था। ताकि जिन से पौष्टिकता ग्रहण किया जा सके। इसीबीच, मैंने ---बंगलादेश की कहानी संग्रेह---और उपन्यास ---लाल सालु—का चीनी में अनुवाद किया। किसी कारण से ये दोनों प्रकाशित नहीं हो पाया, पर ये मेरे लिए सीढियां जैसी थीं। जिन के सहार आखिर में मैं अनुवाद की चोटी पर चढ़ने में सफल हो सका। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध रचना ---नौका डूबी--- और बंगला देश के उपन्यास ----GHOR MON JANALA ----- का मैंने चीनी में अनुवाद किया औऱ प्रकाशित किये गये।