140913kedihua
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उत्तरी चीन के ह पेई प्रांत के एक दूर दराज गेकोंग गांव में 9 दिसम्बर 1942 को बम्बई के एक 32 वर्षीय नौजवान डाक्टर ने बीमारी के कारण अपने प्राण बलिदान कर दिये। वह नौजवान डाक्टर द्वारवानाथ शान्ताराम कोटनीस था।
डाक्टर द्वारानाथ शान्ताराम कोटनीस सितम्बर 1938 में जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में चीनी जनता की सहायता करने के लिए भारतीय मेडिकल मिशन में शामिल हुए फरवरी 1939 में वे येन एन पहुंचे, तत्काल में येन एन चीनी जनता का जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध का एक आधार क्षेत्र था, इस के बाद डाक्टर कोटनीस दुश्मन के पृष्ठभाग में स्थित जापान विरोधी युद्ध मोर्चे पर पहुंचे। जनवरी 1941 में वे बैत्यून अंतरराष्ट्रीय शान्ति अस्पताल के महा निर्देशक नियुक्त हुए। यह अस्पताल, घायल और बीमार योद्धाओं औऱ ग्रामवासियों के उपचार का जिम्मेदार था। युद्ध की चलती फिरती परिस्थितियों की वजह से इस के पास अपनी कोई पक्की और स्थायी इमारत न थी। युद्ध की आपात स्थिति की वजह से स्थानीय जन सरकार के अन्य विभागों की तरह ही इस अस्पताल को भी जगह-जगह स्थापनान्तिरत होना पड़ता था। और अकसर सुरक्षा के लिए दुर्गम्य पहाड़ी क्षेत्रों में चले जाना पड़ता था।