भारत में जो आंखों देखा और कानों सुना था, उससे श्यू पेईहोंग के जीवन के अनुभवों को काफी ज्यादा समृद्ध बनाया गया। और उसने श्यू पेईहोंग की कला प्रेरणा को जगा दिया गया था। उनकी अनेक प्रसिद्ध कला कृतियां इसी दौरान, पैदा हुई थी। मिसाल के लिए उन का सुप्रसिद्ध चित्र घोड़े भारत के डार्जिलीन के प्रवास के दौरान, तब उन्होंने बनाया था, जब उन्होंने यह खबर सुनी कि जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध में चीनी सेना ने उत्तरी हू पेई प्रांत में भारी विष्य हासिल की। चित्र में जो घोड़े थे, हिमालय वर्वत की श्रेष्ष्ठ नस्लवाले घोड़ों को देखकर ही बनाये गये थे। उन्होंने कहा था कि डार्जिलीन में श्रेष्ठ घोड़े किराये पर लिये जा सकते थे। चित्रकार श्यू पेईहोंग अकसर किराये पर घोड़ा लेकर बाहर घूमते थे। पहाड़ को हटाने की कोशिश करने वाला मूर्ख बुजुर्ग शीर्षक अन्य एक बड़ा चित्र उन्होंने विश्व भारती में बनाना शुरु किया था। और डार्जिलीन में उसे पूरा किया।
चित्रकार श्यू पेईहोंग और महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के बीच दोस्ती
2014-09-10 13:46:56 cri