सूत्र संस्करण तैयार किए जाने के बाद दो मंजिला सूत्र भवन में संरक्षित किए जाते हैं। देगे सूत्र मुद्रण गृह में आम तौर पर काष्ठ निर्माण है, जहां बड़ी मात्रा में लकड़ी से बनाए गए सूत्र संस्करण सुरक्षित होते हैं। इस तरह देगे सूत्र मुद्रण गृह में आज तक कोई भी बिजली के तार नहीं है। मुद्रण करने वाले मज़दूरों को घर के आंगन के ऊपर से सूर्य की रोशनी पर निर्भर रहकर काम करना पड़ता है। सूत्र भवन में अंधेरा होने के बावजूद मज़दूर बड़ी कुशलता से 3 लाख 20 हज़ार नक्काशी किये गये सूत्र संस्करणों में से आवश्यक संस्करण तैयार करते हैं। दो-दो मज़दूर एक टीम बनाते हुए एक दूसरे के सामने बैठते हैं। एक व्यक्ति सूत्र संस्करण पर तेल-रंग ब्रश करता है, जबकि दूसरा व्यक्ति सूत्र काग़ज़ को सूत्र संस्करण पर रखकर एक रोलर का प्रयोग कर नीचे से ऊपर तक धकेलता है, दोनों के सहयोग से सूत्र का एक पेज जल्द ही तैयार हो जाता है।
देगे बौद्ध धर्म संघ के विद्वान यीशी वोंगपो के विचार में देगे सूत्र मुद्रण गृह का बड़ा आत्मिक अर्थ है। उन्होंने कहा:
"बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के मन में देगे बौद्ध सूत्र मुद्रण गृह का भारी महत्व है और बहुत मूल्यवान भी। मेरा विचार है कि मात्र अक्षरों को विरासत में लेते हुए उसे विकास करना मुद्रण प्रक्रियाओं के प्रसार की जरूरत नहीं रहा। क्योंकि सूत्रों और किताबों के विषयों का कॉपी किया जा सकता है और डिजिटल रूप से उसका प्रसारण भी किया जा सकता है। लेकिन लकड़ी नक्काशी वाले मुद्रण बहुत आकर्षक है, जिसका ऐतिहासिक महत्व होता है।"