तिब्बती संस्कृति के विकास का स्थल----देगे बौद्ध सूत्र मुद्रण गृह
2015-05-01 20:38:50 cri
देगे सूत्र मुद्रण गृह में प्रयोग किए जाने वाले मुद्रित संस्करण का कच्चा माल लाल भोज वृक्ष की लकड़ी से बना होता है। नक्काशी करने वाले मज़दूर कड़ी परीक्षा से गुजरने के बाद नक्काशी करते हैं, जो नक्काशी, तिब्बती भाषा एवं ललितकला में निपुण होते हैं। अच्छी तरह नक्काशी करने के लिए देगे सूत्र मुद्रण गृह में यह निर्धारित किया गया कि हरेक नक्काशी वाले मज़दूर को एक ही दिन में एक ही इंच वाले मुद्रित संस्करण की नक्काशी करनी है।
नक्काशी के बाद सूत्र संस्करण को 12 बार कड़े परिक्षण से गुजरना होता है और उसके बाद घी-तेल में एक दिन भिगोया जाता है। इसके बाद बाहर लाकर सुखाने के बाद"सूबा"नामक घास के रस को सूत्र संस्करण पर डाला जाता है। उक्त जटिल और कड़ी तकनीकी प्रक्रिया से देगे में मुद्रित सूत्र संस्करणों में 100 साल तक कोई बदलाव नहीं आता।