पचास वर्ष से ज्यादा समय में बहुत ज्यादा लोकगीत सीखने वाले व्यक्ति के रूप में सोनान छाईरांग ने संग्रह करके लोकगीत से संबंधित आठ किताबें लिखीं, जिनमें"चूतोंग में युद्ध"और"मोर पंख से बने कपड़े का गुणगान"जैसे ह्वारेई लोकगीतों के श्रेष्ठ रचनाएं शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने क्रमशः"तिब्बती संगीत चूहाई का खजाना","ह्वारेई लोकगीतों का सार"और"ह्वारेई लाई लोकगीत"जैसे रचनाओं के इकट्ठा करने और संग्रह कार्य में भाग लिया।
दस वर्ष पूर्व सोनान छाईरांग सेवानिवृत्त हो गए। लेकिन उनका जीवन पहले से और व्यस्त होने लगा। वो सुबह 5 या 6 बजे उठते हैं और दिन में अधिकांश समय वे लिखते हैं और एक तिब्बती चिकित्सक के रूप में रोगियों का इलाज भी करते हैं। ह्वारेई तिब्बती लोकगीत गाने से सोनान छाईरांग को कोई आय नहीं मिलती, उनकी आय का प्रमुख स्रोत तिब्बती चिकित्सा से ही आता है। तिब्बती चिकित्सा और औषधि के क्षेत्र में वे एक विशेषज्ञ भी हैं। छिंगहाई प्रांत के कई अस्पतालों और मेडिकल स्कूलों में वे सलाहकार रहे हैं। यहां तक कि वे राजधानी पेईचिंग और केंद्र शासित शहर थ्येनचिन जैसे शहर जाकर वहां के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों को परामर्श भी देते थे। कुछ समय पहले तक वे एक दिन में सौ से अधिक रोगियों का उपचार भी करते थे। इसके साथ ही सोनान छाईरांग छिंगहाई में स्थानीय तिब्बती भाषा वाले रेडियो स्टेशन के सलाहकार भी बने। वे बहुत व्यस्त हैं और ह्वारेई लोकगीतों को इक्ट्ठा करना, संग्रहण करना, गाना और शिष्यों को सिखाना जैसे कार्य अवकाश के समय में करते हैं। ह्वारेई लोकगीत से जुड़े कभी कार्य करने में वे पैसे नहीं लेते, लेकिन सोनान छाईरांग को इसकी कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा:"कुछ लोगों का विचार है कि पैसे के बिना कोई काम नहीं होता। लेकिन मेरा अनुभव यह है कि इस काम का पैसे से कोई संबंध नहीं है। अगर मुझे पैसे नहीं भी मिलते हैं तो भी मैं ये काम करता रहूंगा, अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो ह्वारेई लोकगीत लुप्त हो जाएगा।"