वर्तमान में ह्वारेई लोकगीत गाने वाले उत्तराधिकारियों की उम्र बढ़ गई है, इस प्रकार के लोकगीतों को विरासत का रूप लेते हुए आगे विकास करने में मुश्किल भी मौजूद है। सोनान छाईरांग इस बात से बहुत चिंतित हैं और वह बहुत पहले से ही ये गीत शिष्यों को सिखाने लगे थे। उन्हें आशा है कि तिब्बती जाति की इस मूल्यवान संस्कृति के विकास को बढ़ाएंगे। उनका कहना है:"मैं अपनी यथा संभव कोशिश करता हूँ और ज्यादा से ज्यादा शिष्यों को सिखाता हूँ। कुछ लोग सक्रिय रूप से मेरे सामने आकर मुझसे गीत सीखना चाहते हैं। कुछ लोगों को सिखाना मुझे भी अच्छा लगता है और मैंने उनसे गीत सीखने बात भी की। वर्तमान में मेरा प्रमुख कार्य मेरा स्थान लेने वाले उचित व्यक्ति की खोज करना है।"
तिब्बती जाति की इस मूल्यवान संस्कृति को बचाने के लिए चीन सरकार ने वर्ष 2008 में विशेष परियोजना बनाई, जिसके आधार पर ह्वारेई लोकगीत को राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूचि में शामिल किया गया। इसके अगले वर्ष सोनान छाईरांग राष्ट्र स्तरीय गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासत के उत्तराधिकारी भी चुने गए। उन्हें लगता है कि उनका कर्तव्य अधिक महत्वपूर्ण है। सोनान छाईरांग ने कहा:"मेरे पास जिम्मेदारी अवश्य ही ज्यादा है। उम्र ज्यादा होने के बावजूद भी मैं इस लोकगीत के विकास में संलग्न रहूंगा।"