सोनान छाईरांग का जन्म उत्तर पश्चिमी चीन के कानसू प्रांत के थ्यानचू तिब्बती स्वायत्त कांउटी में हुआ था। बचपन से ही तिब्बती लोक संस्कृति के प्रति उनका गहरा संबंध बना है। तिब्बती लोग गाने और नाचने में बहुत निपुण होते हैं। कहते हैं कि तिब्बतियों को जन्म के बाद बोलने से पहले गाना आता है और चलने से पहले नाचना। तिब्बती लोग गाने और नाचने से अपने आपको अलग नहीं कर सकते। त्योहार के दिन हों या भगवान की पूजा का वक्त ही क्यों न हो, श्रम करने का समय हो या पशुपालन वक्त, तिब्बती लोगों को गीत गाना पसंद करते हैं। मेले में, विवाह समारोह में और घुड़-दौड़ प्रतियोगिता में, विभिन्न प्रकार के समारोहों में तिब्बती लोगों का नृत्य और गान अपरिहार्य हैं। सोनान छाईरांग बचपन से ही इस प्रकार के गाने-नाचने के माहौल में पले बढ़े हैं। उन्होंने कहा:"बाल्यावस्था में विशेष तौर पर मैंने गीत गाना और नाचना नहीं सीखा था। परिवार के प्रौढ़ और वृद्ध लोगों से ही मैंने ये सीखा है। इसके साथ ही आसपास के तिब्बती लोग सब नृत्य और गान में निपुण हैं। मैं बहुत पहले से ही हमारे लोक गीत को इक्ट्ठा करने, संग्रहण करने, गाने और दूसरों को सिखाने के काम में लगा हुआ हूं।"
थ्यानचू कांउटी और आस पड़ोस के क्षेत्र में ह्वारेई तिब्बती लोकगीत बहुत लोकप्रिय है। खास कर विभिन्न मिलन समारोहों में इस प्रकार के कला विषयों और गायन शैली की दृष्टि से अपनी विशेषता होती है। सोनान छाईरांग को ह्वारेई मदिरा गीत गाने में निपुण हैं। उन्होंने परिचय देते हुए कहा:"ह्वारेई मदिरा गीत दूसरे तिब्बती बहुल क्षेत्रों के मदिरा गीतों से अलग है, जिसमें बहुत ज्यादा विषय शामिल हैं और गायन के तरीके भी रंग बिरंगे हैं। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, छिंगहाई प्रांत और सछ्वान प्रांत तिब्बती बहुल क्षेत्रों में मदिरा गीतों के विषय हमारे ह्वारेई मदिरा गीत के विषयों से कम हैं। इसके अलावा, गायन शैली, गाने के तरीके और धुनों में भी अलग हैं। लगता है कि हमारे यहां के ह्वारेई लोकगीत ज्यादा पूर्ण हैं।"