गगनचूंबी द्विचोटियां
उत्तरी ऊंची चोटी और दक्षिणी ऊंची चोटी मिलकर द्विचोटियां कहलाती हैं। दो चोटियां आमने सामने खड़ी हुई हैं। बीच में पहाड़ों की मालाएं फैली हैं और लगातार पांच किलोमीटर दूर अटूट फैलती हैं। द्विचोटियां गगनचूंबी हैं और हल्के कोहरे में कभी कभार दिखायी देती हैं, कभी गहरी कभी हल्की, कभी ऊंची कभी नीची दिखती हैं, दूर से देखने पर मानों गगन को चूम लेती हों। इसलिए उसे गगनचूंबी द्विचोटियां का नाम मिल गया। आज की लिंग यिन सड़क के हुंग छ्वुन पुल के किनारे गगनचूंबी द्विचोटियां नामक मंडप खड़ा है। शुरू शुरू में इस परिदृश्य का नाम था"गगनचूंबी दो चोटियां"। छिंग राजवंश के सम्राट खांगशी दक्षिण चीन की यात्रा करते समय हांगचो पधारे थे । पश्चिमी झील का दौरा करते समय उन्होंने पश्चिमी झील के दस परिदृश्यों के लिए नाम लिखे और"दो चोटियां"को"द्विचोटियां"में बदल दिया। यह नाम आज तक प्रचलित होता आया है।