शाम को नान फिंग पर्वत में घंटा बजने की आवाज़
नान फिंग पर्वत पश्चिमी झील के दक्षिणी तट पर स्थित है, जिसपर हरे हरे पेड़ और विचित्र पत्थर बिखरे हैं। पर्वत की खूबसूरत चोटियां हरित गलियारे की तरह फैली खड़ी हैं। नान फिंग पर्वत की ह्वेई री चोटी की तलहटी में चिंग छी मठ खड़ा है। वह पांच राज्य काल में उत्तर चो राज्य के श्येन ते काल के प्रथम वर्ष (सन् 954) में वू य्येई के राजा छ्यान छ्वु ने तत्कालीन प्रसिद्ध बौद्ध आचार्य योंग मिंग की स्मृति में बनवाया था, जिस का पुराना नाम था"ह्वेई री योंग मिंग य्वान", बाद में"योंग मिंग छान य्वान"( योंग मिंग बौद्ध विहार) के नाम में बदला गया। अब मठ में जुंग चिंग हॉल, ह्वेई री मंडप, ची च्यू भवन और य्वुन मू कुआं आदि अवशेष बरकरार हैं। मुख्य द्वार के बाहर फांग शेंग तालाब है। पहले मठ में एक ताम्र-घंटा भी था। हर शाम को घंटा बजने की गहन गंभीर आवाज़ गाढ़े धुंध से ढकी घाटी में गूंजती रहती थी।"शाम को नान फिंग पर्वत में घंटा बजने की आवाज़"का नाम इसी से पड़ा है। वह पहाड़ी मार्ग के उस पार खड़े लेइ फेंग पगोडा पर सूर्यास्त लाली के परिदृश्य के सामने है। लेई फेंग पगोडा की छाया और नान फिंग घंटे की आवाज़ पश्चिमी झील के दस परिदृश्यों में सब से आकर्षक रात्रि दृश्य बनती हैं।