समुद्री रेशम मार्ग का रोड मैप
क्वांग चाओ व छ्वुन चाओ जैसे दक्षिण चीन के विभिन्न बंदरगाहों से पश्चिम की ओर दक्षिण पूर्व एशिया, भारत व अरब देशों और इससे भी दूर के क्षेत्रों तक जाने वाला मार्ग समुद्री रेशम मार्ग माना जाता था। समुद्र की खौफनाक देने वाली लहरें समुद्री रेशम मार्ग के विकास केलिए सब से बड़ी प्राकृतिक बाधा थी। लेकिन समुद्र में जहाजरानी की तकनीक की उन्नति और समुद्र-यात्रा में अनुभवों के निचोड़ से इस समस्या को दूर किया गया। चूंकि समुद्री व्यापार में परिवहन के कम खर्चे व बड़ी ढुलाई मात्रा की श्रेष्ठता होती थी, इसलिए समुद्री रेशम मार्ग सुंग व य्वान राजकाल के बाद थलीय रेशम मार्ग की जगह लेकर पूर्व व पश्चिम के बीच आदान प्रदान का मुख्य रास्ता बन गया। य्वान राजकाल में इटली के व्यापारी मार्को पोलो ने परम्परागत रेशम मार्ग के जरिए चीन आए थे, और समुद्री मार्ग से इटली वापस लौटे थे। मिंग राजवंश में समुद्री रेशम मार्ग का आगे विकास हुआ, जिस के परिणामस्वरूप वर्ष 1405 में जोंग ह ने विशाल नौ बेड़ों का नेतृत्व करके पश्चिम की यात्रा की और सब से दूर अफ़्रीका के पूर्वी समुद्र तट तक पहुंचा।