रेशम मार्ग चीन व दुनिया के अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाली यातायात लाइन था। मोटे तौर पर रेशम मार्ग नख्लिस्तान मार्ग, घास मैदान मार्ग, समुद्री मार्ग और दक्षिण पश्चिम पर्वतीय मार्ग में बंटा जा सकता था। रेशम मार्ग के तौर पर सब से प्राचीन विकसित रूट नख्लिस्तान मार्ग, घास मैदान मार्ग और दक्षिण पश्चिम के ऊंचे पर्वत मार्ग पर थे। सुंग व य्वान राजकाल( 10वीं सदी ) के बाद जहाज निर्माण उद्योग एवं जहाजरानी उद्योग में भारी प्रगति आयी। चूंकि जहाजरानी में कम खर्चा और बड़ी वाहन शक्ति थी, इसलिए समुद्री रेशम मार्ग बाद में विकसित होकर प्रमुख रेशम मार्ग बना।
नख्लिस्तान रेशम मार्ग का रोडमैप
नख्लिस्तान रेशम मार्ग का दूसरा नाम है रेगिस्तान रेशम मार्ग, जो परम्परागत रेशम मार्ग था। मोटे तौर पर वह ह शी गलियारे से शिनच्यांग में प्रवेश कर दक्षिणी व उत्तरी दो दिशा में तकलमाकन रेगिस्तान के किनारों पर चलते हुए मध्य एशिया पहुंचता था। फिर मध्य एशिया से दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया, फ़ारस की खाड़ी, अफ़्रीका और यूरोप तक जाकर समाप्त होता था।
आम तौर पर पारंपरिक रेशम मार्ग यानी नख्लिस्तान रेशम मार्ग को तीन भागों में विभाजित किया जाता था।
पूर्वी भागः छांग आन शहर से यू मन क्वुन दर्रे व यांग क्वुन दर्रे तक। पूर्वी भाग में विभिन्न लाइनों का चुनाव ज्यादातर ल्यो फान शान पहाड़ को लांघने और पीली नदी को पार करने में सुरक्षा व सुविधा पर ध्यान देते हुए किया जाता था।
मध्य भागः यू मन क्वुन दर्रे और यांग क्वुन दर्रे से पश्चिम की ओर छोंग लिंग पर्वतमाला ( खुनलुन पर्वत व पामीर पठार) तक जाता था।
पश्चिमी भागः छोंग लिंग से पश्चिम की ओर मध्य एशिया व पश्चिमी एशिया से गुजर करके यूरोप तक पहुंचता था।
नख्लिस्तान रेशम मार्ग दक्षिणी व उत्तरी दो रूटों में बंटा था, जिन का केंद्र लो लान नगर था। प्राचीन लो लान से आज के छ्येइ मो, ह थ्यान, काशी (काश्गर) तक तकलमाकन रेगिस्तान के दक्षिणी भाग में चलने वाला रूट दक्षिण रेशम मार्ग माना जाता था। जबकि लो लान से आज के येन छी, खू छे, आकसू, काशी तक तकलमाकन रेगिस्तान के उत्तरी भाग में होने वाला रूट उत्तरी रेशम मार्ग माना जाता था। पश्चिमी हान (ईस्वी 202---ईस्वी 9) राजकाल में उपरोक्त दो लाइनों के रेशम मार्ग सब से विकसित थे।
पूर्वी हान (ईस्वी 25---ईस्वी 220) के राजकाल में त्वुन ह्वांग से हामी होकर तुरपान बेसिन तक जाने, फिर दक्षिण की दिशा में थ्येन शान पर्वत को पार कर येन छी तक पहुंचने वाली नई उत्तरी लाइन खोली गई, जिससे यात्री लो लान क्षेत्र के मुश्किलों से भरे रास्ते से गुजरने से बच सकते थे। विभिन्न नख्लिस्तान लम्बी यात्रा के बीच सराय सा बन गये थे। यह नई लाइन दिन ब दिन विकसित होती गयी। नख्लिस्तान रेशम मार्ग सब से पहले विकसित हुए अंतर्राष्ट्रीय यातायात के जेक्शन का काम आता था और लम्बे समय में रेशम मार्ग की मुख्य लाइन बनी रही थी।