डॉक्टर चिन ने यह भी कहा कि युवा समाज की आशा और भविष्य हैं। भविष्य की दुनिया में युवा अवश्य ही अपने देश के मेजबान होंगे। इसलिए चीन और भारत के युवाओं के बीच आदान-प्रदान बढ़ाना, एक दूसरे देशों को भेजने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ाना, यात्रा के मौके बढ़ाना और सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार करना बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में दुनिया के कई क्षेत्रों में कन्फ्यूशियस संस्थान और क्लास चल रही हैं। तमाम विदेशी युवा हान भाषा सीख रहे हैं। इस क्षेत्र में भारत भी बहुत काम कर सकता है, ताकि युवा ग चीन की कन्फ्यूशियस संस्कृति के साथ संपर्क कर सकें।
चिन तिंग हान ने कहा कि अगर भारत के सांस्कृतिक नेता यहां आकर अपने देश के आम लोगों को चीनी संस्कृति सीखने के लिए प्रेरित करते हुए अधिक व्यावहारिक काम करते हैं, तो दोनों देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान में उनकी व्यापक भूमिका होगी।