डॉक्टर चिन तिंग हान का विचार है कि सांस्कृतिक क्षेत्र में चीन और भारत एक दूसरे से काफी कुछ सीख सकते हैं। दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देश हैं, जबकि इनकी अलग-अलग विशेषताएं है। डॉक्टर चिन ने भारतीय मीडिया में जारी अपनी टिप्पणी में कहा था कि भारत रोमांटिक देश है, जबकि चीन व्यवहारिक है। भारतीय धर्म में सभी विषय देवी-देवताओं और मानव व देवों के बीच के संबंधों से जुड़े हैं, जोकि अमूर्त और मानसिक है। जबकि कन्फ्यूशियस के नेतृत्व वाली चीनी संस्कृति में ज्यादा व्यावहारिक विषय उपलब्ध हैं। इसके आम लोगों के जीवन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो लोगों के बीच वास्तविक संबंधों से जुड़े हैं। हालांकि चीन और भारत की संस्कृतियों में व्यापक अंतर मौजूद हैं, लेकिन इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में बाधा पैदा नहीं हो सकती। दोनों देश एक दूसरे से सीख सकते हैं और अपनी संस्कृति और समृद्ध बना सकते हैं।
पिछले एक लम्बे अरसे से लोगों का व्यापक विचार है कि चीन ने भारतीय संस्कृति से बहुत सीखा है। उदाहरण के लिए चीन में बौद्ध धर्म का स्रोत भारतीय धर्म है। बौद्ध धर्म में कई विचारधाराएं भारतीय धर्म से आती हैं। लेकिन वास्तव में बहुत चीजें चीन से भारत पहुंची हैं। उदाहरण के लिए लीची, थाओची और चाय, हिन्दी भाषा में इन शब्दों का उच्चारण चीनी भाषा के समान है। इससे हमें पता चलता है कि भारत में ये सब चीजें चीन से आई हैं।
डॉक्टर चिन तिंग हान को भारतीय दोस्तों के साथ संपर्क की यादें अब भी ताजा हैं। उन्होंने कहा कि मूल रूप से कहा जाए, तो भारतीय लोग चीन से भावमय हैं। भारत में जो भारतीय लोग मुझे मिले, वे सब मेरे दोस्त हैं। भारत पर चीनी नागरिकों का रवैया भी हमेशा से दोस्ताना रहा है। अगर चीन और भारत एकजुट हो जाए, तो भला कौन हमारा मुकाबला कर सकता है?
डॉक्टर चिन ने कहा कि वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में, विशेषकर चीन और भारत के लिए उच्च स्तरीय आवाजाही ज़रूरी है। चीन और भारत के नेताओं के लिए द्विपक्षीय संबंधों पर वार्ता के माध्यम से मतभेदों का समाधान करना वैश्विक संबंधों के लिए अहम है।