असिम की कहानी शायद हमें कोई जानकारी दे सकती है। विश्वविधालय के समय में हमारे सिर पर न केवल क्लास रूम की जगह और सैकड़ों पुस्तकों की नोलेज दी गई, बल्कि हमें सोचने और अभ्यास करने का पर्याप्त समय भी दिया गया। कुछ लोग अनुभव और परिश्रम को चुनते है, तो कुछ लोग लाइफ में गलत कदम चुनते है। क्या रोज़गार पाना इतना मुश्किल है?उन अनुभवी और परिश्रमी स्नातक छात्रों की बात की जाए, तो रोज़गार पाना इतना मुश्किल नहीं है।
सर्वोत्तम, अभी नेपाल में तीन निजी क्लिनिक और अनिका मैत्री संघ के अध्यक्ष भी हैं। यह कल्पना करना बड़ा मुश्किल है कि चीन में 10 साल स्कूल ऑफ मेडिसिन पढने वाला होनहार छात्र स्वदेश लौटने के बाद अचानक बेरोज़गार हो गया। वो बताते है कि पढाई पूरी होने के बाद मैं वापिस लौटा तो सबसे पहले शिक्षा मंत्रालय में अपना नाम पंजीकृत कराया। शिक्षा मंत्रालय ने फिर से मेरे दस्तावेजों को स्वास्थय मंत्रालय को भेज दिया। मैने न्यूरोलॉजी में डाक्टरी की है, पर उस समय नेपाल में इस तरह के एक्सपर्ट नहीं थे। इसलिए सरकार को भी नहीं मालूम था कि किस तरह से बंदोबस्त किया जाए। उसके बाद मैनें खुद ही अपने आपको संभाला, और एक सरकारी अस्तपताल में संवय सेवक बनकर शुरूआत की। उस समय संवयसेवक बनना भी बहुत कठिन था। उसके बाद एक निजी क्लिनिक में काम किया। शुरूआत के 3-4 साल बहुत बुरे रहें। कोई भी मरीज़ नहीं था। बहुत से लोगों को यह भी नही मालूम था कि न्यूरोलॉजी क्या चीज़ है। एक महीने में मुश्किल से 10 लोगों को ही देख पाता था। बाद में, जब लोगों को समझ आने लगा तब धीरे-धीरे सब अच्छा होने लगा।
यह थी सर्वोत्तम की कहानी। अब सर्वोत्तम नेपाल में न्यूरोलॉजी के टॉप एक्सपर्ट बन गये है। आज उनका खुद का एक क्लिनिक है और समाज में ऊंचा नाम है। हमारे संवाददाता के साथ हुए साक्षात्कार में सर्वोत्तम कहा कि दुनिया में सबसे मुश्किल बात नहीं है। सब कुछ ठीक हो जाएगा। उन्होंने कोशिश कर रहे सभी युवाओं के लिए एक नेपाली गीत गाया।
मित्रो, रोज़गार पाना, ना केवल चीन में ही मुश्किल है, बल्कि दूसरे देशों में भी उतना आसान नहीं है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि कब और कहाँ, बल्कि रोजगार का पर्यावरण होना अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन नौकरी चाहने वालों की बात करें तो उन्हें जमीन से जुड़ा और खुद को संचय करने वाला होना चाहिए। शायद, हमें सिर्फ आत्मविश्वास, दृढ़ रहने, और थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है।