जैसा कि अभी बता चुके है कि चीन में चाय पीने का बहुत लम्बा इतिहास है। कहा जाता है कि ईसा पूर्व 280 में दक्षिणी चीन के वू राज्य के राजा कभी कभी अपने भोजन में अपने मंत्रियों के साथ हद से ज्यादा शराब पी जाते थे। पर राजा के मंत्रियों में से वेइ चाओ नामक एक मंत्री ज्यादा शराब नहीं पीता था, इसलिए राजा ने उसे शराब के बजाये चाय पीने की इजाजत दे दी। तभी से चीनियों में चाय पीने की आदत दिन ब दिन बढ़ने लगी।
थांग राजवंश में चाय पीने की आदत का आगे और विस्तार हुआ। ऐसा भी माना जाता है कि चाय पीने की आदत बौद्ध धर्म से भी संबंधित है। ईस्वी 720 में चीनी मंदिरों में बहुत से भिक्षुक टांग पर टांग रखकर बैठकर सोने लगे थे। इसलिए कुछ भिक्षुकों ने अपने को जगाए रखने के लिए चाय पीना शुरू किया। इस तरह चाय पीने से अपने को जगाए रखने का उपाय भी जगह-जगह प्रचलित हुआ। थांग राजवंश के दौरान चीन में अमीर लोगों के घर में चाय पीने के विशेष कमरे सुरक्षित थे, जिसे चाय कमरा कहा जाता था। ईस्वी 780 में थांग राजवंश के दौरान चाय के अनुसंधानकर्त्ता लूयू ने चाय की पैदावार करने, चाय का उत्पादन करने और चाय पीने के सभी अनुभवों को इक्कठा कर चाय-ग्रंथ लिखा।
सुंग राजवंश में चीन के राजा सुंग वेइजुंग ने अपने मित्रों का सत्कार करने के लिए खुद रसोईघर में जाकर चाय बनायी। छींग राजवंश के राजभवन के भीतर चाय पीने की आदत प्रचलित थी और विदेशी राजदूतों का सत्कार करने के लिए भी चाय पिलायी जाती थी। यह रिवाज़ आज तक लगातार जारी है।