जैसा कि चीन में चाय पीने का इतिहास लगभग 4 हजार सालों का है। चाय चीनियों के रोज़मर्रे के जीवन में सबसे अधिक जरूरत की चीज़ों में से एक है। चाय का महत्व इस बात से भी जाहिर हो जाता है कि चीनी लोगों के जीवन की जिन सात बुनियादी आवश्यकताओं की बात की जाती है, उनमें चाय भी एक है। चीन में अतिथियों को चाय पिलाने का रिवाज़ है। अतिथि और मेज़बान अक्सर कमरे में बैठे हुए चाय पीते और बातचीत करते हुए देखे जा सकते हैं। चाय पीने के साथ-साथ बातचीत करने का एक अच्छा माहौल तैयार हो जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, चाय की खोज सबसे पहले चीनी सम्राट और औषधि के माहिर शननोंग ने 2737 ईसा पूर्व में की थी। यह कहा जाता था कि सम्राट को उबला पानी पीना पसंद था। उनका मानना था कि उबला पानी स्वच्छ रहता है। इसलिए जब भी स्रमाट को पानी पीना होता था, तो उनको उबाल कर दिया जाता था। एक दिन, काफी दूर क्षेत्र की यात्रा कर रहे थे, तो वे और उनकी सेना आराम करने के लिए एक जगह रूक गये। उनके सेवक ने उन्हें पानी पिलाने के लिए पानी उबाला, और न जानें कहां से जंगली चाय की झाड़ी से एक सुखा पत्ता पानी में आ गिरा। उस पानी का रंग धीरे-धीरे ब्राउन रंग का होने लगा, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया और वैसा ही सम्राट के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। सम्राट ने जब पिया तो उन्हें स्वाद अच्छा लगा और पीकर ताज़गी आ गई। तब के बाद से चा (चाय) अस्तित्व में आया।