रोग का अच्छी तरह निदान करना बहुत जरूरी होता है। ह्वा थ्वो बीमारी के अनुसार रोगियों को दवाई देते थे, और उनका इलाज किया करते थे। मरीज़ कम समय में एक दम ठीक हो जाया करते थे। एक बार ऐसा हुआ कि दो मरीज़ उनके पास अपने रोग का ईलाज कराने के लिए आये। दोनो के ही सिर में भारी दर्द था। ह्वा थ्वो ने उनका रोग देखा और दोनो को अलग-अलग तरह की दवाई दे दी। एक रोगी को कड़वी दवा दी, जबकि दूसरे रोगी को पसीना आने की दवा दी। जब लोगो ने देखा कि एक रोग के लिए अलग-अलग तरह की दवा क्यों?तो ह्वा थ्वो ने यह समझाया कि एक रोगी को बुखार था, जबकि दूसरा रोगी अनुचित खाने से बीमार पड़ा था। उन दो रोगियों की अलग-अलग स्थिति के अनुसार, ह्वा थ्वो ने भिन्न-भिन्न दवाएं दी।
आजकल लोग खेल-व्यायाम को बड़ा महत्व देते हैं, जबकि दो हजार से ज्यादा वर्षों से पहले, ह्वा थ्वो ने रोगों की रोखथाम करने के लिए व्यायाम करने का आह्वान किया था। ह्वा थ्वो द्वारा स्थापित पांच पशुओं के कलाबाजी के तरह जिमनास्टिक को लोगों का समर्थन मिला था। इन पांच पशुओं के कलाबाजी में बाघ, हिरण, भालू, बन्दर और पक्षी की शारीरिक क्रिया होती है, जो लोग इसके अनुसार व्यायाम करते थे और बीमारी से बचते थे। ह्वा थ्वो के अनेक छात्र थे, जिनमें से तीन बहुत प्रसिद्ध हुऐ, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में चीन की चिकित्सा व औषधि के विकास में बड़ा योगदान दिया था। ह्वा थ्वो के देहांत के बाद, जनता ने उनकी स्मृति में चीन के अनेक स्थलों पर ह्वा जू मंदिर की स्थापना की।