ऐतिसाहिक सांस्कृतिक अवशेषों की रक्षा के ध्येय से वर्तमान में चीन ने छिन शरहुँहाग मकबरा क्षेत्र की मुख्य समाधि यानी सम्राट छिन शरहुँहाग की समाधि की खुदाई नहीं करने का निर्णय लिया। इधर के सालों में मकबरा क्षेत्र के अन्य विभिन्न कब्रों की खुदाई में 50 हजार अहम अवशेष प्राप्त हुए हैं, जिनमें अनमोल कांस्य अश्व रथ आदि शामिल है। यह कांस्य अश्व रथ वर्ष 1980 में चीनी पुरातत्वी सर्वेक्षण से पता चला था। अश्व रथ का मुख्य भाग कांस्य का है, कुछ पुर्जे सोने व चांदी के बने हैं, और विभिन्न अंग यांत्रिक रूप से एक समूची गाड़ी के रूप में जोड़े गए है। कांस्य अश्व रथ का डिजाइन सुक्ष्म और अनूठा है। वह असली गाड़ी से आधा जितना बड़ी है और असली गाड़ी की नकल पर बारीकी से बनायी गई है। इसमें ठोस रूप से छिन शरहुँहाग की शाही गाड़ी का वैभव दृष्टिगोचर है। इन खुदाई से प्राप्त अवशेषों और संबंधित ऐतिहासिक उल्लेखों से यह समझा जा सकता है कि छिन शरहुँहाग का मकबरा छिन राजमहल का पुनरावृत रूप था। छिन शरहुँहाग चाहता था कि अपनी मृत्यु के बाद भी वहां उस का शासन जारी रहेगा। लेकिन उसकी चाह के विपरीत उसके देहांत के तीन साल बाद ही छिन राजवंश का शासन किसानों के विद्रोह से समाप्त हो गया था। किन्तु उसका यह विशाल मकबरा चीन के विभिन्न सामंती सम्राटों के मकबरों में से सबसे बड़े वाले के रूप में 2 हजार साल बरकरार रहा है और चीन के इतिहास का साक्षी बना है। छिन शरहुँहाग मकबरे का असामान्य ऐतिहासिक महत्व होने के कारण वर्ष 1987 में वह और उसकी मिट्टी यौद्धा व अश्व मुर्ति सेना युनेस्को द्वारा विश्व विरासत सूची में शामिल किये गए।