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सम्राट छिन शरहुँहाग का मकबरा
2013-07-24 15:14:06

छिन शरहुँहाग का वास्तविक नाम च्राओ च्रंग था। 246 ईसा-पूर्व से 221 ईसा-पूर्व तक छिन राजवंश का राजा था। 221 ईसा-पूर्व में एकीकृत चीन का पहला सम्राट बना, और 210 ईसा-पूर्व में 49 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।

चीन के प्रथम सामंती सम्राट छिन शरहुँहाग का मकबरा उत्तर-पश्चिम चीन के श्यानसी प्रांत की लिनथुंग काऊंटी के पूरब में 5 किलोमीटर दूर आनच्यै टाउनशिप के क्षेत्र में है। छिन शरहुँहाग का मकबरा विश्व में सबसे बड़ा, सबसे अनूठा और दफनाई गई वस्तुओं की मात्रा सबसे प्रचूर होने वाला शाही मकबरों में से एक है। मकबरे के साथ दफनाई गई मिट्टी की यौद्धा मुर्तियों, अश्व मुर्तियों और रणरथ मुर्तियों की विशाल सेना प्राचीन मिश्र के विराट पिरामिड की भांति विश्व-विख्यात है, और आठवां प्राचीन विश्व आश्चर्य माना जाता है।

छिन शरहुँहाग (ईसापूर्व 259-210) चीन के सामंती समाज का प्रथम सम्राट था। वह चीन के इतिहास में एक काफी विवादस्पद व्यक्ति था। चीन का एकीकरण करने वाले प्रथम सम्राट के रूप में छिन शरहुँहाग ने तत्कालीन समाज के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को गति देने के लिए सिलसिलेवार कदम उठाए। उसने मुद्रा, लिपि, नाप- तोल की एकीकृत पद्धति बनायी, उत्तर के अल्पसंख्यक जातियों के आक्रमणों को रोकने के लिए छिन शरहुँहाग ने विशेषकर लम्बी दीवार का निमार्ण करनाया। उसके इन कारनामों से वह चीन के इतिहास में एक मशहूर राजनीतिज्ञ बन गया था। लेकिन छिन शरहुँहाग अत्यन्त क्रूर, हिंसक और भोग विलासी था। प्रजाओं के विचारों पर शिकंजा कड़ा करने के लिए उसने पुस्तकों को जला कर खत्म करने और कंफ्युसेस शास्त्र के विद्वानों को जिंदा दफनाने की दरिंदगी वाली नीति अपनायी। इस तरह उसने अपने शासन की जड़े मजबूत करने के लिए अपने राजनीतिक इरादे से विपरीत सभी पुस्तकों को आग में स्वाह किया और उसकी विचारधारों से सहमत नहीं होने वाले अनेकों विद्वानों को जिंदा दफनाया। अपने शासन काल में उसने अनगिनत वित्तीय व मानवी शक्तियों का अनाप-शनाप इस्तेमाल कर अपने भोग विलास के लिए एक विशाल मकबरा और भव्य अफांग महल का निर्माण करवाया।

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