स्वर्ग मंदिर में गोलाकार पूजा-मंच तथा स्वर्ग प्रार्थना-भवन इन दो प्रमुख स्थापत्यों के अलावा पश्चिमी द्वार के भीतर संगीत भवन और पशु बलि भवन भी थे। जहां अलग अलग तौर पर कला मंडली के सदस्य रहते थे और पूजा में बलि होने वाले पशुओं को पाला जाता था। प्राचीन चीनी कारीगरों ने स्वर्ग मंदिर के निर्माण में असाधारण सृजन उजागर किया था। स्थापत्यों पर रंगयोजन में भारी परिवर्तन किया गया था। प्राचीन चीन के शाही स्थापत्यों पर मुख्यतः पीले रंग के खपरेल लगाए जाते थे, जो शाही सत्ता के सर्वोपरि महत्व का प्रतीक होता था। लेकिन स्वर्ग मंदिर में कारीगरों ने नीले रंग का प्रयोग किया था, जो आसमानी रंग का द्योतक था। प्रतिध्वनि-दीवार की ऊपरी सतह, परमेश्वर भवन तथा स्वर्ग प्रार्थना भवन की बाह्य छतों पर और इन दोनों भवनों के सहायक भवनों व प्रांगनों की छतों पर नीले रंग की खपरेल डाली गई थी। वर्ष 1998 में स्वर्ग मंदिर विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया। विश्व विरासत कमेटी का मूल्यांकन है कि स्वर्ग मंदिर चीन में सुरक्षित और सबसे बड़ा पूजा के काम आने वाला प्राचीन स्थापत्य है। उसका डिजाइन सुयोजित और नियमबद्ध है। स्थापत्य की संरचना विशेष और बेजोड़ है और सजावट सुन्दर और आकर्षक है, जिसके कारण यह मंदिर विश्वविख्यात हो गया है, जो न केवल चीनी स्थापत्य के इतिहास में अहम स्थान बनाता है, बल्कि विश्व स्थापत्य- कला का अनमोल धरोहर भी है।