छींग मिंग त्यौहार लोगों का अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह झोउ राजवंश से 2500 से अधिक वर्षों के इतिहास से शुरू हुआ। छींग मिंग एक समृद्ध संस्कृति और गहरा अर्थ रखने वाले त्यौहार के रूप में विकसित हुआ। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में प्रवासी चीनी समुदाय, जो कि सिंगापुर और मलेशिया में रहते है, वे लोग इस त्यौहार को गंभीरता से लेते है और इसकी परंपराओं को ईमानदारी से (नियम आदि का) पालन करते है। मलेशिया और सिंगापुर में प्रवासी चीनी द्वारा छींग मिंग की कुछ रस्मों और पैतृक पूजा मर्यादा का अनुपालन करना मिंग और छींग राजवंशों के दिनों से मेल खाता है। मलेशिया में छींग मिंग एक विस्तृत पारिवारिक समारोह या कुटुम्ब (आमतौर पर संबंधित कुटुम्ब संघ द्वारा आयोजित) दावत के रूप में मनाया जाता और लोग अपने दिवंगत रिश्तेदारों या पूर्वजों की कब्रों पर जाकर उन को श्रद्धांजलि और सम्मान देते हैं।
छींग मिंग त्यौहार प्रवासी चीनी समुदाय के लिए बहुत बड़ा पारिवारिक समारोह और साथ ही एक पारिवारिक दायित्व भी है। वे इस पर्व को समय के प्रतिबिम्ब के रूप में देखते है और अपने पूर्वजों को सम्मान और धन्यवाद देते हैं। प्रवासी चीनी सामान्य रूप से निकटतम सप्ताहांत पर अपने दिवंगत रिश्तेदारों की कब्रों पर जाते है। प्राचीन रिवाजों के अनुसार, कब्रिस्तान जाकर पूजा करना केवल छींग मिंग त्यौहार के दस दिन पहले या बाद में ही सहज होता है। यदि वास्तविक तिथि पर कब्र स्थल पर जाना संभव नहीं होता है, तो छींग मिंग से पहले आमतौर पर पूजा करने को प्रोत्साहित किया जाता है। मलेशिया और सिंगापुर में छींग मिंग के दिन आमतौर पर चीनी लोग पूर्वजों को सम्मान व श्रद्धांजलि देना सुबह जल्दी शुरू कर देते है। चीन की मुख्य भूमि में लोग अपनी संवेदनाओं से ओत-प्रोत हुए अपने पूर्वजों की क़ब्रों पर जाते है, परंपरागत रूप से पैसे और कागज से बनी कार, घर, फोन और सेवकों को जलाते है। चीनी संस्कृति में, यह माना जाता है कि लोगों को जीवन के बाद भी इन चीजों की जरूरत होती है। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपने पूर्वजों की कब्रों के सामने तीन से नौ बार खोउ-थोउ करते है यानि घुटनों के बल बैठ कर सर झुकाते है। कब्रों के सामने सर झुकाने का रिवाज़ परिवार में पितृ सत्तात्मक वरिष्ठता के क्रम के अनुसार किया जाता है। कब्र स्थल पर पूर्वजों की पूजा करने के बाद पूरा परिवार या पूरा कुटुम्ब कब्र स्थल पर ही दावत करते है जो पूजा के लिए खाना लाए थे। इसका अभिप्राय है कि पूर्वजों के साथ परिवार का पुनर्मिलन।