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चीन के एक गांव में काम करने वाली अध्यपिका शेन फिंग
2012-12-26 16:37:37

वर्ष 2009 में विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से स्नातक होने के बाद शेन फिंग काम करने के लिए किसी बड़े शहर नहीं गयी। उसने काओली कांव में युवा लीग की अध्यक्ष का काम करना शुरू किया। वर्ष 2010 में गर्मी की छुट्टियों से अध्यक्ष का काम करने के अलावा उसने "ल्योशो अरथुंग"को छुट्टियों में खुशियां देने के लिए एक आशा शीर्षक नामक अंग्रेजी अनिवार्य परामर्श केंद्र की स्थापना की। हर साल गर्मी व सर्दियों की छुट्टियों में वह अंग्रेज़ी के अनिवार्य परामर्श स्टेशन में अपनी अंग्रेजी की स्थिति उन्नत करने वाले छात्रों की गिनती करती है। बाद में स्कूल के हर केंद्र के छात्रों की स्थिति के अनुसार वह अंग्रेजी अनिवार्य परामर्श का विषय तैयार करती हैं।

शेन फिंग ने कहा कि वर्तमान में मेरे अंग्रेजी अनिवार्य परामर्श केंद्र में कुल पच्चीस छात्र हैं। रोज शाम को ढाई बजे से साढे पांच बजे तक सीखने के लिए उन छात्रों को संगठित करती हूं। मुझे विश्वास है कि ज्ञान लोगों का भाग्य बदल सकता है और शिक्षा में भविष्य की आशा देखी जा सकती है। हालांकि यह काम आसान नहीं है, लेकिन बच्चों के सुन्दर चेहरों को देखकर मुझे बहुत खुशी होती है। छुट्टियों में मुक्त अनिवार्य परामर्श केंद्र के ज़रिए बच्चों के सीखने की गारंटी की गई है और उनके परिजनों के लिए छुट्टियों में बच्चों की सुरक्षा का सवाल भी हल हो गया है। मुझे उम्मीद है कि बच्चे स्वस्थ व खुशी के साथ बड़े होंगे, जिससे बाहर मजदूरी करने वाले उनके माता-पिता को आश्वासन दिया जा सकेगा और स्थानीय आम लोगों को भी इससे लाभ मिलेगा।

रोज छात्र अनिवार्य परामर्श केंद्र में सीखते हैं। कक्षा लेने के अलावा शेन फिंग अक्सर उन्हें अंग्रेज़ी बोलने वाले देशों की स्थिति भी बताती है, जिससे छात्रों को ज्यादा जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा शेन फिंग उन्हें उनके माता-पिता के बाहर मजदूरी करने की मुश्किलों से भी अवगत कराती हैं, जिससे उन बच्चों को ज्ञान मिलने के साथ साथ अपने मां-बाप की मेहनत का भी पता चलता है।

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