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चीन के एक गांव में काम करने वाली अध्यपिका शेन फिंग
2012-12-26 16:37:37

14 वर्षीय च्यो वन थिंग इस साल जूनियर हाईस्कूल के तृतीय वर्ष की एक छात्रा है। उसके मां-बाप पूरे साल बाहर मजदूरी करते हैं और वह अपने दादा-दादी के साथ रहती है। शेन फिंग के अनिवार्य परामर्श केंद्र में शिक्षा पाने के बाद उसके परिजनों को उसके बारे में चिंता नहीं है। च्यो वन थिंग ने कहा कि इस केंद्र की शिक्षा से मुझे ज्यादा जानकाली मिली और अपने मां-बाप की मुश्किलें भी पता चली हैं। अब मैं अक्सर दादा जी के लिए कुछ काम करती हूं।

अपने अनिवार्य परामर्श केंद्र के छात्रों की चर्चा करते हुए शेन फिंग ने कहा कि कई छात्रों ने यहां के शिक्षा के बाद प्रगति की है, जैसे च्यो छिन नामक एक लड़की अब अपने आप अंग्रेज़ी शब्दकोश का उपयोग कर सकती है। मध्यावधि परीक्षा में उसने परीक्षण स्कोर में बेहतर परफार्मेंस दी और वह एक खुश लड़की बन गई है। छ्ओ च्युन ह्वा नामक एक लड़के को भी प्रगति प्राप्त की।

शेन फिंग की मेहनत से काओली गांव में "ल्योशो अरथुंग"का जीवन पूरी तरह बदल चुका है। कुछ छात्रों के माता-पिता ने बाहर से फोन से शेन फिंग के प्रति आभार जताया। बच्चों के चेहरों पर शेन फिंग ने अपनी मेहनत की उपलब्धियां भी देखी। इस गांव में रहने वाले लोग उसके काम का समर्थन करने के साथ-साथ प्रशंसा भी करते हैं। पिछले नवंबर में आयोजित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के काओली गांव की कमेटी व इस शहर की कमेटी के चुनाव में शेन फिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के काओली गांव की कमेटी की उपाध्यक्षा और इस गांव की कमेटी के प्रधान का पद संभाला। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के काओली गांव की कमेटी के अध्यक्ष च्यो ली ह्वंग ने कहा कि हमारे गांव में शेन फिंग का काम अच्छा है, उपाध्यक्षा व काओली गांव की कमेटी के अध्यक्षा के पद की वह हकदार है।


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