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चीन-भारत सांस्कतिक आदान प्रदान का पुल------भारतीय नृत्य
2012-11-21 10:51:14

हाल में भारतीय दूतावास द्वारा पेइचिंग में भारतीय नृत्य व संगीत कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका मकसद भारतीय पारंपरिक नृत्य का प्रचार प्रसार करना, ताकि नृत्य के क्षेत्र में चीन भारत का आदान प्रदान आगे बढ़ाया जा सके। भारतीय शैली के संगीत में चीन और भारत की तीन युवतियों ने नृत्य पेश किया। चीन स्थित भारतीय राजदूत डॉ. एस. जयशंकर ने उम्मीद जताई कि इस तरह के कार्यक्रमों से चीनी जनता भारत को बेहतर ढंग से समझेगी। उन्होंने कहा हमें आशा है कि आप लोग खुद को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर भारत को ज्यादा समझेंगे। यह चीनी जनता के प्रति आयोजित एक सांस्कृतिक गतिविधि है।

प्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह भी भारतीय नृत्य सिखाने और इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करने के लिए चीन में आई। वे भारतीय परंपरागत ओडिसी नृत्य और भरतनाट्यम में एक बड़ा नाम हैं और उन्हें कई बार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उन्हें इस बात से खुशी हुई कि उन्हें इस कार्यक्रम में भाग लेने का मौका मिला। भारतीय परंपरागत नृत्य गुरु के रूप में उन्होंने चीनी जातीय नृत्य का अध्ययन भी किया था। उनका मानना है कि नृत्य के माध्यम से विभिन्न देशों की जनता के बीच समझ व संपर्क गहरा होता है।

दूतावास के प्रथम सचिव विनायक चव्हाण ने कहा कि वे ज्यादा प्रसिद्ध व्यक्तियों को चीन में भारतीय संस्कृति के प्रसार के लिए आमंत्रित करेंगे, ताकि चीन भारत के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान बढ़ सके। उन्होंने कहा हम ज्यादा भारतीय कलाकारों को पेइचिंग समेत चीन के कई शहरों में प्रदर्शन करने के लिए बुलाएंगे। हाल में हर सप्ताह दूतावास के सांस्कृतिक विभाग में बॉलीवुड की फिल्में दिखाई जाती हैं। कई चीनी लोगों को भारतीय परंपरागत नृत्य में रुचि है। इसलिए हमने संगीत व नृत्य क्लास भी शुरू की। हम उन लोगों का स्वागत करते हैं जिन्हें भारतीय नृत्य व संगीत पसंद है। मेरा मानना है कि यह एक अच्छी बात है कि दोनों देश एक दूसरे की संस्कृति को समझेंगे और सीखेंगे।

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