ग्यारहवें राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सम्मेलन की स्थायी समिति की पांचवीं बैठक में, चीनी उद्यमों का विदेशों में पूंजी निवेश प्रतिनिधियों के बीच जोरदार बहस का विषय बन गया था।आज वैश्विक आर्थिक संकट, यूरोपीय ऋण संकट ने चीनी उद्यमों को विदेश में निवेश का सुअवसर प्रदान किया है। बिते कई सालों में चीनी उद्यमों का विदेशों में निवेश के प्रति सफलता का अवसर रहा है तो असफलता का भी अनुभव मिला है।
शुरू से ही राष्ट्रीय कंपनियों को विदेशों में निवेश का अवसर का लाभ मिल जाता है लेकिन निजी कंपनियों को खुद परिश्रम करना पड़ता है। चीनी वित्त मंत्रालय के उप मंत्री चियांग जंग वेइ ने हाल में कहा कि, वर्तमान में निजी कंपनियों के विदेश में निवेश की नितियां तैयार की जा रही है और जल्द ही यह अमल में भी आ जाएगा। समुद्र पारीय देशों में विलयन और अधिग्रहन शक्ति के मजबूत होने से बहुत सारे निजी चीनी कंपनियों को विदेशों में विकास करने का मौका मिला है।
वर्ष 2011 में, विदेशों में चीन का गैर वित्तीय निवेश साठ अरब अमरिकी डॉलर रहा था, जिसमें विलयन और अधिग्रहण निती के द्वारा किए गए निवेश की रकम 37 प्रतिशत थी। चीनी वित्त मंत्री छेन द मिंग ने हाल ही में कहा कि चीनी उद्यमों का विदेशी निवेश और लक्षित देश दोनों पारस्परिक तौर पर लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
चीन में श्रम लागत में वृद्धि, उद्यमों का विकास और कुछ उद्यमों का विदेशों में प्रसार ने चीनी उद्यमों को विदेशों में निवेश के लिए प्रेरित किया है जोकि दोनों पक्षों के लिए लाभदायक है। साथ ही पिछले साल अमेरिका और युरोप में निवेश, खासकर युरोप में निवेश दर तुलनात्मक रूप से तेज है। हमलोगों का युरोप में निवेश मुख्यतौर पर वहां की श्रम शक्ति को रोजगार उपलब्ध कराना है, वहां के देशों को कर भी देते हैं, कहा जा सकता है कि लक्षित देशों के हितों से मेल खाता है इसलिए स्थानीय सरकारों का स्वागत भी मिलता है।