किसी शहर की विशेषता वहां आयोजन होने वाले पुस्तक मेले से भी झलकती है। इस बार के शांगाई पुस्तक मेले में यह विशेष रूप से देखा जा सकता है, यानिकी इस मेले में एक भारी परिवर्तन नजर आया है। आजकल के इस डिजिटल जमाने में पुस्तक पढ़ने में ज्यादा बदलाव आएगा, इसलिए भविष्य में आयोजित होने वाले शांघाई पुस्तक मेले को भी तीसरी बार परिवर्तित होने की जरूरत है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि, हजारों सालों के सांस्कृतिक विकास के फलस्वरूप आज शांघाई शहर के लोग मुद्रित पुस्तक और डिजिटल रीडिंग पढ़ने वाले दो भागों में बंट गए हैं, युवा पीढ़ी के लोग इलेक्ट्रोनिक पठन सामग्री को ज्यादा पसंद करने लगे हैं। बहुत सारे लोगों का मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक रीडिंग के प्रति लोगों के उत्साह में समय के साथ तेज वृद्धि होगी जोकि नवसृजन का एक आधार होगा।
वर्तमान में बच्चों में पढ़ाई का तरीका बदल गया है, पठन सामग्री बदल गयी है लेकिन पढाई की क्षमता में गिरावट नहीं आएगी। पुस्तक पढ़ना एक आध्यात्मिक आनंद है जोकि धीरे-धीरे प्राप्त होता है। उत्तम पठन सामग्री आपके जीवन का अभिन्न भाग बनकर अंतिम समय तक आपका साथ दे सकती है। इसके बारे में प्रसिद्ध लेखक ये युंग लेए कहते हैं कि बच्चों को फिर भी पहले मुद्रित पुस्तक ही पढ़ना चाहिए। उन्हें कागजी किताब में छुपे आनंद का अनुभव प्राप्त करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक भी पढ़ सकते हैं। वास्तव में मुद्रित पुस्तक और इलेक्ट्रॉनिक रीडिंग की रचना अलग-अलग है, उस से भी ज्ञान हासिल हो सकता है।
आजकल एक नया वातावरण पैदा हो गया है, जिसमें यह प्रचलन हो गया है कि सिर्फ किताब इकट्ठा करें और पढ़ते नहीं, या किताब भी पढ़ें, पर उसपर चिंतन नहीं करते, चिन्तन भी करें, पर उसे दैनिक जीवन में उपयोग नहीं करते। यह आधुनिक युग में पुस्तक पढ़ने में एक विडंबना होती है। परन्तु इस सात दिन तक चले शांघाई पुस्तक मेले में दर्शाया गया है कि लोगों में अभी भी पुस्तक पढ़ने के प्रति लगाव है। वास्तव में यह एक प्रोत्साहन देने वाली बात है। हालांकि मुद्रित पुस्तक प्रकाशन उद्योग पर संकट और इलेक्ट्रॉनिक पुस्तक की चुनौति ने मुद्रित पुस्तक पढ़ने की पारंपरिक आदत को पीछे छोड़ दिया है, फिर भी लोग विभिन्न किस्मों की पुस्तक पढ़ लेते हैं। किताब पढ़ने के तरीके का चुनाव अब केवल एक विकल्प बनकर रह गया है।