अंतरिक्षयात्री बहुत मेहनत के साथ अभ्यास करते हैं। अपने आपको स्थल जीवन से हटाकर वायुमंडलीय जीवन के अनुकूल बनाते हैं, गुरूत्वाकर्षण के भारहीन वातावरण के अनुकूल बनाते हैं। इन दो सालों में लियु यांग अंतरिक्ष के जैसा ही जीवन बिताती थी। इस दौरान न उसके दोस्तों को उसका पता था ना ही परिवार वालों को उसकी कोई खबर।
हमें अनुशासन का पालन करना होता है। जब अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन हो जाता है उसी समय से बाहरी दुनिया के साथ संपर्क टूट जाता है। चयन से पहले इस बारे में कई खबरें प्रकाशित की गयी थीं, लेकिन चयन के बाद किसी भी बाहरी व्यक्ति के साथ इस घटना का जिक्र तक नहीं किया गया। सिर्फ माता-पिता को पता था कि पेइचिंग में काम कर रही हूं लेकिन किसी भी दोस्त या रिश्तेदार को इसकी खबर नहीं थी।
इन दो सालों में कभी-कभी मेरी माता जी का फोन आता था और उनके साथ कुछ परिवार की बातें होती थीं। इसके बारे में लियु यांग की माता ने कहा कि हमलोग उससे मिलना चाहते थे लेकिन उसके काम को भी प्रभावित करना नहीं चाहते थे। जब उसे समय मिलता था वह हमें जरूर फोन करती थी। हमलोग कभी भी काम के बारे में बात नहीं करते थे। सिर्फ यही पूछा करते थे कि आराम से रह रही है या नहीं।
लियु यांग की सफलता को परिवार के समर्थन से अलग नहीं किया जा सकता है। लियु यांग के पिताजी कहते हैं कि बाहरी दुनिया में कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, वे सदैव अपनी बेटी के साथ हैं।
दो सालों के कठिन अभ्यास के बाद, लियु यांग शारिरिक और मानसिक तौर पर पूरी तरह तैयार हो चुकी थी। इस बीच उसने अंतरिक्ष संबंधी तकनीकों पर भी महारत हासिल कर ली थी और शनचो-9 के कार्यभार को पूरा करने के लिए बिल्कुल तैयार थी। इस तरह वह चीन की प्रथम महिला अंतरिक्षयात्री बन गयीं।
यहां पर मैं कहना चाहूंगी की मेरे जीवन में दो परिवर्तन आया है। पहला यह कि एक साधारण व्यक्ति से पायलट बनना। उसके बाद एक साधारण पायलट से अंतरिक्ष यात्री बनना। मैनें इस परिवर्तन को पूरा किया। ऐसा लग रहा है जैसे परियों की कहानी में आकाश में उड़ने वाली परी बन गयी हूं।
दोस्तो, अभी आप सुन रहे थे प्रथम चीनी महिला अंतरिक्ष यात्री की कहानी। आशा है आपको यह कार्यक्रम जरूर पसंद आया होगा।