न्यूलांग एक चरवाह था, जिसे च्रिनु नाम की सुंदर-सी बुनकर लडकी से प्यार हो गया था। च्रिनु देवताओं की 7वीं पुत्री थी, जो एक दिन थोड़ी मस्ती-मज़े के लिए स्वर्ग से बाहर निकली थी। उसके बाद उसे न्यूलांग से प्रेम हो गया था, और उन्होंने एक दिन चोरी-छिपा विवाह कर लिया। च्रिनु और न्यूलांग एक-दूसरे से बहुत खुश थे। दोनों अपने दोनो बच्चों के साथ खुशी-खुशी जीवन बिता रहे थे। परन्तु एक दिन च्रिनु की मां यानि स्वर्ग की देवी को जब यह पता चला कि च्रिनु जैसी परी ने एक साधारण मनुष्य से विवाह कर लिया है, तो वह बहुत क्रोधित हो गई। तभी उन्होंने च्रिनु को आदेश दिया कि वह तुरंत स्वर्ग लौट आए। स्वर्ग की देवी चाहती थी कि च्रिनू फिर से रंग-बिरंगे बुनने आदि स्वर्ग के कामकाज को संभाले। वहां धरती पर न्यूलांग अपनी पत्नी च्रिनू के खो जाने पर बहुत दुखी हो गया था। अचानक न्यूलांग का बैल उसको एक तरकीब बताता है कि वह उसको मार दे, और उसकी खाल में छिपकर स्वर्ग पहुंच जायें, और अपनी पत्नी च्रिनू को ढूंढ ले। न्यूलांग ने अपने दिल पर पत्थर रखकर ऐसा ही किया। उसने अपने बैल को मारकर उसकी खाल में अपने दोनों बच्चों को लेकर छिप जाता है, और अपनी पत्नी च्रिनू को ढूंढने के लिए स्वर्ग की ओर चल पड़ता है। परन्तु स्वर्ग की देवी न्यूलांग की यह चाल समझ जाती है, और बहुत नाराज हो जाती है। गुस्से से आगबबूला स्वर्ग की देवी ने अपने बालों में लगी पिन निकाली और आकाश के बीचोंबीच एक नदी बना दी, ताकि दोनों प्रेमियों को हमेशा के लिए अलग किया जा सकें। ठीक उसी तरह जैसे आकाश गंगा द्वारा अल्तार और वेग नामक तारों को अलग किया जाता है। अब च्रिनू हमेशा नदी के एक तरफ उदास बैठकर चरखा बुनने लगी, जबकि दूसरी तरफ न्यूलांग अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण करता रहा, और दूर से ही दोनों एक-दूसरें की ओर देखते थे। परन्तु 7वें चंद्र मास के 7वें दिन दुनिया भर की मैगपाई चिडियां आकाश गंगा में इकट्ठा होकर एक सेतु का निर्माण किया, ताकि एक दिन के लिए इस प्रेमी जोड़े का मिलन करवाया जा सकें।