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जन्मभूमि के प्रति तिब्बती युवती सोनाम चोज़ोम का प्रेमभाव
2012-03-14 10:17:18

अब माग्मांग टाऊनशिप की अधिकांश महिलाएं बांस बुनाई हस्तशिल्प पर महारत हासिल कर चुकी हैं। लेकिन परम्परागत बांस बुनाई वस्तुओं का आकार प्रकार कम ही नहीं, शिल्पकला भी साधारण है। स्थानीय महिलाओं की आधुनिक बांस कृतियों को बुनने की कला उन्नत करने के लिये 2007 में माग्मांग टाऊनशिप ने सछ्वान प्रांत से दो प्रसिद्ध हस्तशिल्पियों को आमंत्रित किया। जिस से परम्परागत व आधुनिक हस्तशिल्प कलाओं को एक दूसरे से जोडे जाने की वजह से माग्मांग टाऊनशिप में तैयार बांस बुनाई कृतियां हाथों हाथ बिक गयी हैं, किस्में भी विविधतापूर्ण हैं, बांस थेले ही नहीं, बैग, टोकरी और फल बाँक्स आदि कृतियां भी उपलब्ध हैं। पर्यटक यहां आने के बाद अवश्य ही घर घर जाकर बांस कृतियां खरीदने जाते हैं। सोनाम चोज़ोम की घरेलू आय भी काफी ज्यादा बढ़ गयी है।

बांस कृतियों की क्वालिटी को सुनिश्चित बनाने के लिये बुनाई की सभी सामग्री स्थानीय बांस का इस्तेमाल करना जरुरी है। लेकिन माग्मांग टाऊनशिप में बांस की परवान अवधि दो से तीन साल की है, पर अब पुराने बांस शुष्क होने के साथ साथ नये बांस परिपक्त न होकर उप्रयोगी भी नहीं हैं। इसलिये सोनाम चोज़ोम केवल पहले बुनी बुनाई बांस कृतियां बेचती है।

सोनाम चोज़ोम ने कहा कि कुछ साल पहले उसने परिवार के लिये और अधिक पैसे कमाने के लिये कई सौ किलोमीटर दूर लोका क्षेत्र के चयतांग कस्बे में एक होटल स्टाफ ट्रेनिंग ले ली। फिर वह कुछ समय के लिये होटल स्टाफ का काम संभालती थी। लेकिन अब वह शादीशुदा हो गयी है और होटल स्टाफ का काम करने को तैयार नहीं है, घर पर गृहस्थी और खेतीबाड़ी का काम करने का मन लगा हुआ है, इस के अलावा अवकाश के समय बांस कृतियां बुनकर बेचने में भी मस्त है।

बातचीत करते करते उसने हमें अपनी बुनी बुनाई बांस कृतियां दिखाने के लिये अपने घर पर आमत्रित कर दिया। उस का घर एक दुमंजिला इमारत है। उसने हमें बताया कि क्योंकि अपनी शादी अभी अभी हुई है, अपना नया घर बनाने में अब समर्थ नहीं है, वह अपने पति के साथ अस्थाई तौर पर अपने मां बाप के साथ रहती है। माता पिता प्रथम मंजिल पर रहते हैं, वह अपने पति के साथ दूसरी मंजिल पर रहती है। उस के कमरे में कदम रखते ही तिब्बती स्टाइल वाले नये फर्निचर बड़े ढंग से रखे हुए नजर आते हैं, साथ ही अपने हाथों बने बनाये बांस थैले, टोकरियां, बैग और बांक्स आदि कृतियां सुरक्षित रखी हुई हैं। उसने कहा कि एक दो साल बाद वह पति के साथ पर्याप्त पैसे कमाने के बाद अपना नया मकान बनवाना चाहती है, फिर एक बच्चे का जन्म देने का अपना इरादा भी है। तिब्बती लड़की सोनाम चोज़ोम ने कहा:

"अब मेरी उम्र बड़ी नहीं है , बच्चे का जन्म शीघ्र ही देना नहीं चाहती। आशा है कि इधर एक दो साल में अपने परिश्रम के जरिये पारिवारिक जीवन स्थिति सुधरेगी और जीवन उत्तरोत्तर खुशहाल होगा।"

सोनाम चोज़ोम ने कहा कि हालांकि पति घर पर कम समय रहते हैं, पर अपनी सहेलियां बहुत ज्यादा हैं, अवकाश के समय कोई अकेलापन महसूस नहीं है, अपना दैनिक जीवन बहुत रसपूर्ण है।

"अवकाश के समय मैं अपनी मित्रों के साथ गाना गाती हूं या डांस करती हूं। कुछ समय टाऊनशिप द्वारा संयोजित सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेती हूं, अन्य कुछ समय मैं मित्रों के साथ मनपा व तिब्बती जातीय के क्वो च्वांग नामक डांस भी करती हूं। जी हां, खाली समय पर मित्रों के साथ घूमने बाहर जाना भी पसंद करती हूं।"

सोनाम चोज़ोम ने कहा कि कभी कबार वह दोस्तों के साथ दूसरे स्थलों की यात्रा करती है। घर से सब से दूर स्थल ल्हासा के दौरे पर गयी थी। सोनाम का कहना है:

"ल्हासा शहर के दौरे पर गयी, वहां पर हम नोर्बुलिंगा, बड़ी चुलाखांग मठ और पोताला महल आदि अनेक धार्मिक स्थल घूमने गये। इतना ही नहीं, हम दूसरे रमणीय स्थलों के दौरे पर भी गये, ल्हासा रेलवे स्टेशन ने मुझ पर सब से गहरी छाप छोड़ रखी है। ल्हासा बड़ा शहर है, जीवन स्थिति भी काफी बेहतर है, विशेषकर रेल गाड़ी पर सवार होने में बड़ा मजा आता है।"

सोनाम चोज़ोम के गांवबंधु आम दिनों में बहुत कम बाहर जाते हैं, बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी ज्यादातर समाचार पत्रों, टी वी और रेडियो से प्राप्त कर लेते हैं। सोनाम चोज़ोम ने कहा कि वह अकसर घर पर टीवी कार्यक्रम देखती ह , जिस से पेइचिंग और शांगहाई जैसे बड़े-बड़े शहरों के निवासियों की जीवन स्थिति से काफी परिचित हो गयी है। पर उसने कहा कि बड़े शहर की जीवन स्थिति अच्छी तो है, पर वह नौकरी के लिये वहां रहने की आदी नहीं है, इस के बजाये उसे अपनी जन्मभूमि में ही रहना ज्यादा अच्छा लगता है। तिब्बती लड़की सोनाम चोज़ोम ने कहा:

"अपनी जन्मभूमि में वातावरण ताजा है, प्राकृतिक दृश्य मनमोहक है और संसाधनों की भरमार होती है। इस के अलावा परिवारजन और मित्र भी साथ-साथ रहते हैं, साथ ही पड़ोसी भी एक दूसरे से परिचित हैं ।"

सोनाम चोज़ोम की जिगरी मित्र डेचेन त्सोमो है, जिस का उल्लेख हम ने इस कार्यक्रम के शुरु में किया है। वे दोनों बचपन में ही साथ साथ खेलती थीं, बड़ी होने के बाद खेतीबाड़ी करने, नौकरी करने बाहर जाने में हो या अवकाश के समय नाचगान करने में क्यों न हो, हमेशा एक दूसरे से अलग नहीं होतीं।

जब हमने उस से यह प्रश्न किया कि यदि डेचेन त्सोमो नौकरी के लिये किसी बड़े शहर में जाय़ेगी, तो आप उस के साथ जाने को तैयार हैं या नहीं, सोनाम चोज़ोम ने थोड़ी देर सोचकर जवाब दिया कि मैं उस के साथ जाने को भी तैयार हूं।

बातचीत करते करते डेचेन त्सोमो उस से मिलने आयी। बात यह है कि थोड़ी देर के बाद उन्हें अपनी सहलियों के साथ एक मित्र के बच्चे के जन्म दिवस की पार्टी में जाना है। हम से बिदाई लेने से पहले दोनों ने साथ मिलकर अपना मनपसंद गाना गाया।

जब हम इंटरव्यू का उपकरण बटोरने लगे , तो सोनाम चोज़ोम ने अपने साथियों के साथ हमें बिदाई दी, फिर हंसते गाते हुए बाहर चल निकली। जब हम उस के घर से बाहर निकल आये, तो उन का हंसा मजाक फिर भी सुनाई दे रहा था, पर उन की परछाइयां छिंगहाई तिब्बत पठार के दक्षिण छोर पर खड़े इस दूरस्थ पहाड़ी गांव की रात में ओझल हो गयी हैं।


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